विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । लगभग ढाई महीने से रिक्त पड़े दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर नाम तय होने से पहले ही महाभारत छिड़ गया है। कांग्रेस में नए शामिल हुए क्रिकेटर और पूर्व सांसद कीर्ति आज़ाद के नाम पर पार्टी के भीतर ही हड़कंप मचा हुआ है। पार्टी सूत्रों की मानें तो कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी आलाकमान के पास उनके नाम पर आपत्ति दर्ज़ कराई है। ज़्यादातर नेताओं ने दलील दी है कि पार्टी की हालत पहले ही दिल्ली में बहुत खराब है, ऐसे में, पार्टी में कुछ महीने पहले शामिल हुए एक नेता पर दांव खेलना दिल्ली विधानसभा चुनावों से ठीक पहले महंगा साबित हो सकता है। खास तौर पर तब जबकि कीर्ति को संगठन चलाने का कोई अनुभव नहीं है। उन नेताओं ने ये भी कहा है कि इस वक़्त एक ऐसा नेता चाहिए जो सभी को साथ लेकर चल सके, ऐसे में किसी अनुभवी को कमान देना ही उचित होगा।
पार्टी जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान करने वाली है। ऐसे में कीर्ति आजाद का नाम एक नामी क्रिकेटर और पूर्वांचली नेता होने के कारण आगे चल रहा है। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास भी मनोज तिवारी के तौर पर एक पूर्वांचली अध्यक्ष है, जबकि आम आदमी पार्टी के लगभग एक दर्जन विधायक पूर्वांचल से आते हैं। इसी वोट बैंक पर अब कांग्रेस की भी नज़र है। बड़ा सवाल अब ये है कि अगर कीर्ति का पत्ता कटता है तो ऐसी स्थिति में पार्टी क्या जेपी अग्रवाल या सुभाष चोपड़ा जैसे वरिष्ठ नेताओं पर दांव खेलेगी जो प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर पहले भी संभाल चुके हैं या किसी नए चेहरे पर। दरअसल शीला दीक्षित के निधन के बाद से ये पोस्ट खाली चल रही है और अब इसके लिए कई दावेदारों के नाम आगे आ रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर और पूर्वांचली नेता कीर्ति आजाद इस रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं। कीर्ति के अलावा संदीप दीक्षित और जेपी अग्रवाल भी अध्यक्ष की फेहरिस्त में हैं।