विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों की सुनवाई कर रही संविधान पीठ से नहीं हटने वाले है। जस्टिस मिश्रा इस केस की सुनवाई के लिए गठित संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं। पिछली सुनवाई में उन्होंने कहा था जज को हटाने की मांग को ‘पीठ का शिकार’ करना बताया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि इसकी इजाजत दी गई,तब ‘संस्थान नष्ट’ हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जस्टिस अरुण मिश्रा को पांच जजों की संविधान पीठ से हटाया गया,तब यह इतिहास में एक काला अध्याय होगा। यह न्यायपालिका को वश में करने के लिए हमला है। पीठ में शामिल अन्य जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एस रविंद्र भट ने फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ किसान संगठनों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से कहा था कि यह पीठ का शिकार करने का प्रयास है। आप पीठ में अपनी पसंद का व्यक्ति चाहते हैं। यह एक गंभीर मसला है और इतिहास कहेगा कि एक वरिष्ठ वकील भी इस प्रयास शामिल था। इस पर दीवान ने कहा था कि एक जज को पूर्वाग्रह की आशंका को देखते हुए सुनवाई से हट जाना चाहिए अन्यथा जनता का भरोसा उठ जाएगा और इसलिए वह संस्थान की ईमानदारी को बरकरार रखने के लिए जज को हटाने का निवेदन कर रहे हैं।