नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में कृषि संकट से निपटने के लिये कानून बनाने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार से डेरा डाले देशभर से आए हजारों किसानों की शुक्रवार को संसद मार्च की कोशिश को दिल्ली पुलिस ने गंतव्य से कुछ पहले ही रोक दिया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले रामलीला मैदान से संसद मार्च कर रहे किसान आंदोलनकारी अब संसद मार्ग थाने पर ही सभा कर रहे हैं। आंदोलन का समर्थन कर रहे लगभग २०० किसान एवं सामाजिक संगठनों और २१ राजनीतिक दलों के नेता संसद मार्ग थाने पर ही किसानों को संबोधित करेंगे। लगभग १०.३० बजे लगभग ३५ हजार किसानों ने भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच रामलीला मैदान से संसद भवन तक पैदल मार्च शुरु किया। दिल्ली पुलिस ने लगभग ३५०० पुलिसकर्मियों को सुरक्षा इंतजाम के लिये तैनात किया है। इस दौरान मध्य दिल्ली स्थित रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक विभिन्न इलाकों में यातायात प्रभावित हुआ। पुलिस ने आंदोलनकारियों को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुये संसद मार्ग थाने से आगे बढ़ने से रोक दिया।
समन्वय समिति के नेता वी.एम.सिंह, अतुल कुमार अनजान और योगेन्द्र यादव सहित अन्य नेताओं की अगुवाई में प्रदर्शनकारी किसानों का संसद मार्ग पहुंचना जारी है। किसान सभा को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव और भाकपा नेता डी राजा सहित अन्य दलों के नेता संबोधित किया। समन्वय समिति के सचिव अशीष मित्तल ने बताया कि लगभग २४ राज्यों के किसान एवं अन्य सामाजिक संगठनों ने किसानों को कर्ज मुक्त कराने और उपज का डेढ़ गुना मूल्य दिलाने के लिये कानून बनाने की मांग को लेकर दो दिवसीय आंदोलन आयोजित किया है।
नर खोपड़ी लेकर आंदोलन में शामिल हुए तमिलनाडु के किसान
नई दिल्ली। एक बार फिर दिल्ली में चल रहे किसानों के दो दिवसीय ‘मुक्ति मार्च’ में तमिलनाडु के किसान अपना पुराना तरीका अपनाते हुए नर खोपड़ी के साथ आंदोलन में शामिल हुए हैं। नर खोपड़ी के साथ ही तमिलनाडु के किसानों ने अर्ध नग्न होकर केंद्र सरकार के प्रति अपना गुस्सा जाहिर किया है। इससे पहले अक्टूबर 2017 में भी तमिलनाडु के किसान इसी तरह से सरकार के प्रति विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। तमिलनाडु के किसानों की मानें तो यह उन किसानों की खोपड़ी है जो फसलों के खराब होने और बढ़ते कर्ज के चलते आत्महत्या कर अपनी जान दे चुके हैं। तमिलनाडु के किसान इस दौरान हरे झंडों और हरे रंग के ही कपड़ों में नजर आए। वहीं आंदोलन में शामिल हुए किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार उनकी मागों पर ध्यान नहीं देती है तो आंदोलन उग्र रूप ले सकता है। साथ ही वे आगामी चुनावों में सरकार को इसका जमकर सबक सिखाएंगे। किसान महासभा के सचिव अतुल अंजान की मानें तो सरकार को स्पेशल सेशन में किसानों के लिए दो बिल लेकर आना चाहिए। एक कर्ज माफी का और दूसरा फसलों की उचित कीमत की गारंटी का है। मालूम हो कि देशभर के ये किसान अपनी संपूर्ण कर्ज माफी और फसलों को डेढ़ गुना ज्यादा समर्थन मूल्य की मांग की है। किसानों के इस आंदोलन को कई वर्गों का भरपूर समर्थन मिला है, जिनमें कई राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हैं। किसान आंदोलन में शामिल ऑल इंडिया किसान सभा के बिहार से आए लक्ष्मण सिंह ने कहा कि अगर अगर उनकी मागों को नहीं मानती है तो 1947 जैसा आजादी का संघर्ष होगा।