विशेष संवाददाता
लखनऊ। पुलिस के लिए सोमवार को एक और परीक्षा की घड़ी है. 19 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट के दौरान हुई हिंसा के आरोप में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ा ये मामला है. रिहाई मंच के मुखिया मोहम्मद शोएब की गिरफ्तारी को गलत बताने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कॉर्पस) दाखिल की गई है. मोहम्मद शोएब के वकील एबी सलोमन ने हैबियस कॉर्पस दाखिल करके कोर्ट को बताया है कि उनकी गिरफ्तारी गलत की गई है. साथ ही उन्हें गिरफ्तार किये जाने के बाद अदालत में भी पेश नहीं किया गया. इस याचिका पर जस्टिस सदयुल हसनैन की बेंच आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान यूपी पुलिस की तरफ से काउंटर एफिडेविट के लिए अतरिक्त समय की मांग की गई. जस्टिस सदयुल हसनैन की बेंच ने कहा कि मामले में बेल पिटीशन मूव किया जाए. जिसके बाद बेंच ने सुनवाई अगले सोमवार के लिए टाल दी.
याचिका में दलील दी गई है कि 19 दिसम्बर को हुए प्रोटेस्ट से एक दिन पहले ही मोहम्मद शोएब को लखनऊ पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर रखा था लेकिन, अचानक 20 दिसम्बर की सुबह पौने नौ बजे उन्हें क्लार्क अवध तिराहे से गिरफ्तारी किया जाना दिखाया गया. याचिका में इसी को आधार बनाकर दलील दी गयी है कि जब शोएब हाउस अरेस्ट थे तो उनकी गिरफ्तारी परिवर्तन चौक से कैसे दिखायी गई. ऐसे में हजरतगंज पुलिस द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी फर्जी है. अब कोर्ट के रूख पर यूपी पुलिस का किरदार तय किया जायेगा कि उसकी गिरफ्तारी असली थी या फर्जी.बता दें कि इस याचिका पर पिछले हफ्ते 3 जनवरी को सुनवाई करते हुए जस्टिस सदयुल हसनैन की बैंच ने दो ऑर्डर पास किये थे. बेंच ने कोर्ट से दो सबूत मांगे हैं. पहला तो क्लार्क अवध तिराहे से उनकी गिरफ्तारी का सीसीटीवी फुटेज और दूसरा सिविल कोर्ट में पेश करते हुए उनके फुटेज. कोर्ट की इस मांग पर आज लखनऊ पुलिस को अपना जवाब भी देना है. एसआर दारापुरी, सदफ ज़ाफर को जमानत मिलने से पुलिस हुई किरकिरी!3 जनवरी को ही पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी सहित 16 लोगों को कोर्ट से जमानत मिली थी. इन सभी लोगों को भी 19 दिसम्बर को हुए हिंसा के मामले में आरोपी बनाते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कोर्ट से मिली जमानत को लखनऊ पुलिस के लिए किरकिरी होने जैसा माना गया था. अब एक और आरोपी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होगी.
बता दें कि मोहम्मद शोएब मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं. वे एक वकील भी हैं. इनके नेतृत्व में रिहाई मंच नाम का संगठन चलता है. ये संगठन आतंकवाद के आरोपों में बन्द लोगों के मुकदमे लड़ता रहा है. 19 दिसम्बर को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में रिहाई मंच ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. कुछ ही दिन पहले यूपी के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेन्स में कहा था कि रिहाई मंच के कई सक्रिय कार्यकर्ताओं को लखनऊ में हिंसा के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है और कई लोगों पर पुलिस की नज़र है. बता दें कि परिवर्तन चौक पर हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने जो मुकदमा दर्ज किया है उसमें रिहाई मंच को नामज़द किया गया है. मोहम्मद शोएब के खिलाफ नामज़द कोई मुकदमा नहीं है.