बाल यौन शोषण मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने बुधवार को छह और नाबालिग पीड़ित बच्चों के बयान अदालत में दर्ज कराएं। सीबीआई इससे पहले 17 पीड़ित बच्चों के बयान अदालत में दर्ज करवा चुकी है। अब तक बयान दर्ज कराने वाले पीड़ित बच्चों की कुल संख्या 23 हो चुकी है। अभी और बच्चों के बयान दर्ज करवाएं जा सकते हैं। पॉक्सो अदालत में सहायक शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) मनोज दीक्षित ने बताया कि सीबीआई के उपाधीक्षक (सीओ) और मामले के जांच अधिकारी अमित कुमार अन्य अधिकारियों के साथ बेहद गोपनीय तरीके से पीड़ित छह नाबालिग बच्चों को अदालत में लेकर आए और सिविल जज (जूनियर डिवीजन) अनुजा सिंह की अदालत में अलग-अलग पीड़ित बच्चों को पेश करके सीआरपीसी की धारा-164 के तहत बयान दर्ज करवाएं। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने 25 जनवरी को 10 बच्चों के बयान दर्ज करवाए थे। अब तक बयान दर्ज करवाने वाले कुल पीड़ित नाबालिग बच्चों की संख्या 23 हो गयी है। उन्होंने कहा कि अभी और चिन्हित बच्चों के बयान दर्ज करवाये जा सकते हैं।
दीक्षित ने बताया कि कुमार ने बाल यौन शोषण के मामले में 18 नवंबर 2020 से बांदा की जेल बंद सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता (जेई) रामभवन (निलंबित) की पत्नी दुर्गावती को उसके नरैनी कस्बा स्थित आवास से 28 दिसंबर 2020 को गिरफ्तार किया था। उन्होंने बताया कि तभी से उसकी पत्नी भी जेल में बंद है। उन्होंने बताया कि दुर्गावती पर पहले पॉक्सो अधिनियम की धारा-17 (बाल यौन अपराध को छिपाना, मदद करना) और आईपीसी की धारा-120बी (आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होना) आरोप लगा था, लेकिन अब लैंगिक अपराध की 4, 6, 8, 10 व 12 धाराएं भी बढ़ाई गयी हैं। उन्होंने बताया कि जेई के खिलाफ लैंगिक अपराध की 24 व 29 की नई धाराएं जुड़ गई हैं जिसमें उम्रकैद या मौत की सजा तक का प्रावधान है।
एडीजीसी दीक्षित ने बताया कि आरोपी जेई रामभवन की पत्नी दुर्गावती ने अधिवक्ता के जरिये 12 जनवरी को जमानत की अर्जी अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (पॉक्सो) मोहम्मद रिजवान अहमद की अदालत में दाखिल की थी,जिसकी सुनवाई अब 29 जनवरी को होगी। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार दंपति की न्यायिक हिरासत दो फरवरी तक है।
