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  • Tuesday, 09 September 2025
15 या 16 कब है कृष्ण जन्माष्टमी?

15 या 16 कब है कृष्ण जन्माष्टमी?

15 या 16 कब है कृष्ण जन्माष्टमी? नोट करें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार नजदीक है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस साल भगवान श्री कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर भक्त भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना करके, उपवास रखकर व्रत कथा पढ़ते हैं और रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। हर साल की तरह इस साल भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

कृष्ण जन्माष्टमी कब 15 या 16 अगस्त?

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अगस्त की रात 11 बजकर 49 मिनट पर होगा और इसका समापन 16 अगस्त की रात 9 बजकर 34 मिनट पर होगा। इस साल जन्माष्टमी दोनों दिन मनाई जाएगी। हालांकि, मान्यताओं के मुताबिक, उदयातिथि को मान्यता दी जाती है। इसलिए व्रत और पूजा उदया तिथि को की जाएगी, यानि कि इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।

 

शुभ मुहूर्त और पूजा का समय

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था। इस वर्ष नीतिशा मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा, और इसी अवधि में श्रीकृष्ण की पूजा संपन्न होगी। वहीं दही हांडी का उत्सव भी 16 अगस्त को दिन में मनाया जाएगा। इसके बाद व्रत पारण का समय- 17 अगस्त के दिन सुबह 05.51 बजे तक है।

 

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

* सबसे पहले घर और पूजा के स्थान की साफ-सफाई करें और शुद्धता बनाए रखें।

 

* इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।

 

* एक चौकी पर सफेद या पीले कपड़ा बिछाकर भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

 

* लड्डू गोपाल को झूले या पालने में भी रख सकते हैं।

 

* पूजा स्थल को फूल, दीप, तोरण, रंगोली और मोरपंख से सुंदर बनाएं।

 

* भगवान श्रीकृष्ण का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक करें।

 

* अभिषेक करने के बाद साफ जल से स्नान कराएं, फिर शुद्ध वस्त्र पहनाएं।

 

* उन्हें फूल, तिलक और गहनों से सजाएं, चंदन लगाएं, फूल और तुलसी पत्ते अर्पित करें।

 

* श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री, फल, मिठाई और पंजीरी अर्पित करें।

 

* रात्रि 12 बजे शंख व घंटी बजाकर जन्मोत्सव का पूजन और आरती करें।

 

* आरती के बाद भजन, कीर्तन और श्रीकृष्ण की लीलाओं का पाठ करें।

 

* पूजन के बाद मिष्ठान्न, फल और भोग प्रसाद ग्रहण कर उपवास समाप्त करें।

 

* व्रत का पारण अगले दिन के शुभ मुहूर्त में किया जाए।

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