
पूजा के बाद दीया की जली बाती को न फेंके,
पूजा के बाद दीया की जली बाती को न फेंके, जली हुई बातियों से करें ये चमत्कारी उपाय!
सनातन धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा हो हम दीपक जरूर जलाते हैं। इस दौरान रुई की बाती बनाई जाती है, जिसे घी में डुबाया जाता है। लेकिन घी खत्म होने के बाद बाती बुझ जाती है। ऐसे में अधिकतर लोग इस बाती को उठाकर कूड़े में डाल देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इनका सही उपयोग करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जली हुई बाती में पॉजिटिव एनर्जी होती है और नेगेटीव एनर्जी को दूर करती है।इसलिए बाती को कहीं फेंकने के बजाय अगर आप इस आसान उपाय को अपनाकर देखते हैं तो यह जीवन में सुख-समृद्धि और कार्य सिद्धि दिला सकती हैं।
आइए जानते हैं कि पूजा के बाद जली हुई बातियों का क्या करना चाहिए?
जली हुई बाती का ऐसे करें उपयोग
* पूजा में इस्तेमाल हुई दीपक की बातियों को 10 दिन तक इकठ्ठा करें और 11वें दिन एक साफ-सुथरी दीये में रखें
* अब इस दीपक में एक दालचीनी की स्टिक, एक इलायची, दो से तीन कपूर के टुकड़े और दो फूलों वाली साबुत लौंग डालकर प्रज्वलित करें।
* फिर इससे निकलने वाले धुंए को अपने घर में चारों ओर घुमा दें, ये घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करती हैं
* उसके बाद इस दीये को छत पर रख दें और उसकी राख को एक डिब्बी में भर लें
* जब भी आप किसी जरूरी कार्य के लिए जाएं, इस राख से तिलक लगाकर निकलें, इससे कार्य सिद्धि मिलती है
* बच्चों की नजर उतारने के लिए इस राख को सात बार उन पर से घुमाकर पेड़ों की की जड़ में डाल दें
* अगर राख ज्यादा मात्रा में हो तो इसे तुलसी के पौधे के पास मिला देना भी शुभ होता है
* अगर दीपक की बाती और राख को एक कपड़े में रख दें और एक हफ्ते बाद नदी में प्रवाहित करें तो इससे ग्रहदोष से छुटकारा मिलता है
* जली हुई बातियों को कभी भी कूड़ेदान में न फेंकें, यह नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है और घर के सुख-शांति में भी बाधा बनता है
दीपक की बची बाती को दोबारा जलाएं या नहीं?
कई लोग पुरानी बाती को ही घी या तेल डालकर दोबारा दीपक जला लेते हैं। बता दें कि ऐसा करना ठीक नहीं माना जाता है। जब भी भगवान के सामने दीपक जलाए और अगर दीपक धातु का है तो उसे धोकर उसमें नई बाती के साथ ही जलाए। बची हुई बाती को दोबारा जलाने से सकारात्मकता में कमी आती है। इसके साथ ही आपको बता दें कि हिंदू शास्त्रों में आरती के दौरान दीपक को घुमाने के बारे में भी बताया गया है। भगवान की आरती करते समय पहले उनके चरणों के पास चार बार घुमाएँ, फिर नाभि पर दो बार, उसके बाद मुख के सामने एक बार और अंत में सिर से लेकर पैरों तक सात बार आरती करें। इस प्रकार कुल 14 बार आरती घुमानी चाहिए।
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