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  • Tuesday, 22 October 2024
नामी वेबसाइट के नाम का फर्जी बीमा कॉल सेंटर चलाने वाले को पुलिस ने पकड़ा

नामी वेबसाइट के नाम का फर्जी बीमा कॉल सेंटर चलाने वाले को पुलिस ने पकड़ा

कॉल सेंटर में काम कर रही 10 लड़कियों को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार ‎किया

नई दिल्ली। नामी वेबसाइट के नाम का उपयोग करके चल रहे फर्जी बीमा कॉल सेंटर को बुराड़ी पुलिस ने पकड़ा है। यह कॉल सेंटर द्वारका मोड़ के पास चल रहा था। जहां से दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया। साथ ही कॉल सेंटर में काम कर रही 10 लड़कियों को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार कर इन्वेस्टिगेशन जॉइन करने के लिए नोटिस दिया है।

आरोपियों में कुतुब बिहार निवासी 27 वर्षीय निहाल खान, 22 वर्षीय दीपू के तौर पर हुई है। बाकी पुलिस ने आरोपियों के पास से चीटिंग के लिए इस्तेमाल 18 मोबाइल, दो लैपटॉप, फ्रॉड के लिए एटीएम कार्ड, दिल्ली और आसपास के राज्यों के कार मालिकों की डिटेल के 1240 पेज बरामद किए हैं। इसके अलावा 4 फेक मेल आईडी मिली हैं, जिसमें कई जानकारियां थीं।
नॉर्थ जिला के एक पु‎लिस अ‎धिकारी के मुताबिक 5 अक्टूबर को एक पीड़ित ने ई-एफआईआर के जरिए शिकायत दी।

तथ्यों की जानकारी के लिए पीड़ित को बुलाया। उसने बयान दिया कि जून 2024 वह अपनी कार का बीमा खरीदने के लिए ऑनलाइन नंबर खोज रहा था। इसके बाद कुछ नंबरों से कॉल आने लगीं। कॉल करने वाले कम कीमत पर कार बीमा दिलाने का लालच देने लगे। उन्हें नामी कंपनी के नाम से मिलते फर्जी ईमेल पते से एक ईमेल भी मिला, जिसने खुद को उस कंपनी का कर्मचारी होने का दावा किया। इसके बाद 12,000 ले लिए। 30 जून को पॉलिसी के जो दस्तावेज भेजे। उसमें दी गईं जानकारियों पर संदेह हुआ। पीड़ित ने जिस कंपनी के नाम से पॉलिसी जारी की गई थी। उस पर संपर्क किया। वहां से पता चला कि यह पॉलिसी नकली है।

पुलिस की टीम ने जांच के दौरान उन मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लिया, जिनका इस्तेमाल कर पीड़ित को फंसाया गया था। सीसीटीवी कैमरे और मोबाइल टॉवरों पर फोकस करने के बाद पुलिस की जांच द्वारका मोड मेट्रो स्टेशन के नजदीक सेवक पार्क एरिया में आकर ठहर गई। यहां एक बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर रेड कर पुलिस ने दस लड़कियों और दो युवकों को पकड़ा।
मुख्य आरोपी निहाल खान और दीपू ने पूछताछ में खुलासा किया वे इस तरह से लगभग पचास लोगों से चीटिंग कर चुके हैं। ये अपने कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए एक ऐप और ऑनलाइन पोर्टल की मदद लेते थे।

स्टाफ रखने के बाद वे कार मालिकों का डेटा उन्हें देते। कॉल सेंटर कर्मचारी उस डेटा में मौजूद फोन नंबर पर कॉल कर कार बीमा के बारे में पूछते। अगर कोई बीमा कराने में रुचि दिखाता तो फिर उस से कहा जाता कि उनका एग्जीक्यूटिव जल्द इस सिलसिले में उनसे बात करेगा। आरोपियों ने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए चार फर्जी मेल आईडी बना रखी थी। वे पीड़ितों को कम कीमत पर फर्जी पॉलिसी कोटेशन भेज उन्हें जाल में फंसाकर रकम हड़प लेते थे।

 

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