सुप्रीम कोर्ट ने हाथ से मैला ढोने की प्रथा का पूर्ण उन्मूल करने का दिया निर्देश
सीवर में होने वाली मौतों का मामल
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को सीवर में होने वाली मौतों के मामले में हाथ से मैला ढोने की प्रथा का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। सीवर में होने वाली मौतों के मामलों में मुआवजा बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में इस घृणित प्रथा के जारी रहने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीवर संचालन से उत्पन्न स्थाई दिव्यांगता के मामलों में मुआवजे की राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अन्य प्रकार की विकलांगता के लिए मुआवजा 10 लाख रुपये से कम नहीं होना चाहिए।
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने इससे संबधित 2013 के कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को 14 दिशानिर्देश भी जारी किए।
पीठ ने पीड़ितों और उनके परिवारों के पुनर्वास के लिए सक्रिय उपाय करने का निर्देश दिया। इनमें छात्रवृत्ति और अन्य कौशल कार्यक्रम सुनिश्चित करना भी शामिल है। पीठ ने कहा कि केंद्र और राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह से समाप्त हो जाए। हममें से सभी लोग आबादी के इस बड़े हिस्से के प्रति कृतज्ञ हैं, जो अमानवीय परिस्थितियों में व्यवस्थित रूप से फंसे हुए हैं।
Sunil Singh
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