भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ
सीएम बोले- भारत की सोच ही वैज्ञानिक हैं
भारत ने 100 से अधिक देशों को वैक्सीन देने का चमत्कार किया
भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को मैनिट में आठवें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की सोच ही वैज्ञानिक हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत की सोच ही वैज्ञानिक है। साइंटिफिक सोच भारत की जड़ों में है। आज से हजारों साल से पहले से भी भारत प्रौद्योगिकी में बहुत आगे है।
आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूं कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं हैं बल्कि समर्थन करते हैं। सीएम ने कहा कि जब कोविड का कठिन काल आया तो हमने कल्पना भी नहीं की थी कि हमारी स्वदेशी वैक्सीन बन जाएगी। वैज्ञानिक पहले भी थे लेकिन सशक्त लीडरशिप नहीं थी। हमारे वैज्ञानिकों ने दो वैक्सीन बना दी और विदेशों में भी भेजी गईं। 200 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं। सीएम शिवराज ने अपने संबोधन से पहले कार्यक्रम स्थल के सर्दी में चल रहे एसी बंद करा दिए। कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया।
शनिवार से 8वां भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ मैनिट में हुआ। चार दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 15 कार्यक्रम होंगे। विज्ञानिका उत्सव की थीम पर एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई गई है। विज्ञान महोत्सव का आयोजन केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय परमाणु ऊर्जा विभाग अंतरिक्ष विभाग और मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किया जा रहा है। इस आयोजन में 10 हजार प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। जबकि देश के 300 से अधिक संस्थान अपनी खूबियां बताए आए हुए हैं।
हम दूसरे देशों के उपग्रह लांच कर रहे
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक जमाना था जब भारत के उपग्रह कोई और लॉन्च करता था आज हम न सिर्फ अपने बल्कि अन्य देशों के उपग्रह भी लॉन्च कर रहे हैं। विज्ञान को टेक्नोलॉजी की जननी माना जाता है। लेकिन उससे भी आगे कुछ है तो वो है जिज्ञासा। जिज्ञासा से ही इनोवेशन होते हैं और अनुसंधान होते हैं। जब न्यूटन के सामने पेड़ से सेब जमीन पर गिरा तब उनकी जिज्ञासा के कारण ही गुरुत्वाकर्षण का पता लग पाया।
जिज्ञासा और जिद होना जरूरी
सीएम ने कहा कि अलग-अलग रसायनों को मिलाकर कोई नया रसायन बनाना जिज्ञासा ही है। जिज्ञासा ही मानव को चांद पर लेकर गई। जिज्ञासा के कारण हम मंगल ग्रह तक पहुंचे। भारत स्टार्टअप्स के ईकोसिस्टम में दुनिया में तीसरे नंबर पर या गया है। ये जिज्ञासा और जानने की इच्छा मन में बनी रहना चाहिए। आपके अंदर जिद भी होना चाहिए क्योंकि जो आप सोचते हो उसे जमीन पर उतारने के लिए जिद की जरूरत होती है।
विमान की कल्पना भारत में थी
पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक गौरवशाली वैभवशाली शक्तिशाली समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है। उनकी सोच भी साइंटिफिक है। एक तरफ हमने योग ध्यान प्राणायाम और समाधि के जरिए ब्रह्मांड के सत्य को खोजने की कोशिश की। विमान की कल्पना हजारों साल पहले से ही भारत में थी। भारत के खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य ने न्यूटन से सदियों पहले साबित किया था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को एक विशेष शक्ति के साथ अपनी ओर आकर्षित करती है। अथर्ववेद में पहली बार लक्षणों के आधार पर ज्वर खांसी कुष्ठ जैसे रोगों की चिकित्सा का वर्णन मिलता है। ईसा से 600 साल पहले तक्षशिला और बनारस औषध विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे थे।
हमने विज्ञान पश्चिम से नहीं लिया
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में हर प्रकार की चिकित्सा का वर्णन है। ये हम नहीं कहते जमाना कहता है। कोई ये न समझे कि हमने विज्ञान पश्चिम से लिया है। नवग्रह हमारे लिए कोई नए नहीं हैं हमारे ऋषि इनके बारे में सालों पहले से जानते हैं। आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूं कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं हैं बल्कि समर्थन करते हैं। विज्ञान और आध्यात्म के इंटरकनेक्शन को हमने समझा है।
हमने नवाचार की नीति बनाई हैं
भारत ने विश्व को शून्य दिया है दशमलव की खोज भारत ने की। आज इस प्राचीन ज्ञान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा कि हम प्राचीन भारतीयों के बहुत एहसानमंद हैं जिन्होंने हमें गिनना सिखाया है। हमें अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। हमने अपनी विज्ञान प्रोद्योगिकी और नवाचार की नीति बनाई है। गुड गवर्नेंस में हम तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं।
वेंचर कैपिटल फंड बनाएंगे
नई स्टार्टअप नीति हमने बनाई है। अगर आपके पास इनोवेटिव आइडिया हैं तो आपको निराश नहीं होने दूंगा। एक साल में मध्यप्रदेश में 2600 स्टार्टअप बने हैं। छोटे कस्बों से भी प्रतिभाशाली बच्चे निकल रहे हैं। इस सोच और विचार को रुकने मत दो। इंदौर में हम स्टार्टअप पार्क बना रहे हैं जरूरत पड़ी तो भोपाल और ग्वालियर में भी बनाएंगे। हम वेंचर कैपिटल फंड बनाएंगे।
पीएम का धन्यवाद करता हूं
व्यक्ति जैसा सोचता और करता है वैसा ही बन जाता है। अगर आप कुछ सोचोगे ही नहीं तो मुंह पर बैठी मक्खी भी उड़ाने किसी और को आना पड़ेगा। इस उत्साह के साथ इस साइंस फेस्टिवल में आप लोग भाग लें। सीएम ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी और केन्द्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह जी को मध्यप्रदेश में साइंस फेस्टिवल आयोजित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
देश मेंं प्रतिभा की कमी नहीं रही हैं
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं रही हैं। लोगों में क्षमता और जज्बा भी कम नहीं था। आंखों में सितारे भी कम नहीं थे लेकिन शायद तब उस प्रकार अनुकूलता का वातावरण नहीं था। परंतु अब वातारण बदला है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नए नए प्रयोगों को बढ़ावा दे रही हैं। जितेंद्र सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र मे स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं। मध्य प्रदेश में बांस बहुतायात में पाया जाता और वेस्ट टू वेल्थ सेक्टर में मध्य प्रदेश बहुत योगदान कर सकता हैं।
Sunil Singh
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