
भारत में शिक्षा में नाम पर खर्च करना होते हैं लाखों, 7 देश ऐसे जहां पूरी पढ़ाई फ्री
नई दिल्ली। भारत में हर एक नागरिक अपनी कुल कमाई का बड़ा हिस्सा बच्चों की शिक्षा पर खर्च करता है और रही सही कमाई स्वास्थ सेवाओं में चली जाती है। लेकिन दुनिया में सात देश ऐसे हैं जहां एक भी पैसा पढ़ाई के नाम पर खर्च नहीं करना पड़ता है। मुफ्त शिक्षा का मतलब केवल स्कूल की फीस से आजादी भर नहीं है, बल्कि इसमें किताबों, यूनिफॉर्म, ट्रांसपोर्ट और अन्य जरूरी सुविधाओं का भी शुल्क नहीं लिया जाता है। हालांकि हर देश में इसकी परिभाषा और दायरा अलग-अलग होता है। कुछ देश केवल प्राथमिक स्तर तक इसे उपलब्ध कराते हैं, वहीं कुछ ने माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार दे रखा है। कमाल की बात यह है कि कुछ देशों में यह सुविधा न केवल नागरिकों, बल्कि वहां रह रहे विदेशियों और प्रवासी बच्चों को भी मिलती है।ये मुफ्त शिक्षा देने वाले देशों में शामिल है फ्रांस, जर्मनी, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, क्यूबा और डेनमार्क।
फ्रांस में विदेशियों के लिए ईयू और नोन ईयू देशों के बच्चों के लिए भी शिक्षा मुफ्त है। केवल यूनिफॉर्म, किताबों और कैंटीन चार्जेस अलग से देने पड़ते हैं। जबकि जर्मनी में प्राथमिक से हाई स्कूल तक शिक्षा मुफ्त दी जाती है। यहां सभी बच्चों के लिए समान रूप से शिक्षा फ्री है। किताबें और स्टेशनरी खुद खरीदनी पड़ती है, लेकिन ट्यूशन फीस पूरी तरह शून्य।इसी तरह फिनलैंड में कक्षा 1 से 12 तक और उच्च शिक्षा तक शिक्षा फ्री है और विदेशियों के बच्चों को भी फ्री शिक्षा दी जाती है। सरकार किताबें, यूनिफॉर्म और खाना तक उपलब्ध कराती है। इसलिए शिक्षा का खर्चा शून्य होता है। जबकि नॉर्वे में हाईस्कूल तक पढ़ाई मुफ्त है और प्रवासी बच्चों को भी यही सुविधा मिलती है। यहां अन्य गतिविधियों के नाम पर मामूली शुल्क लिया जाता है। स्वीडन में भी शिक्षा को खास महत्व दिया जाता है यहां किताबें और भोजन तक सरकारी उपलब्ध कराती है शिक्षा फ्री है केवल ट्रांसपोर्ट का खर्चा उठाना पड़ता है। क्यूबा में प्राथमिक शिक्षा से लेकर यूनिवर्सिटी तक का खर्चा सरकार उठाती है। मुख्य रूप से मूल नागरिकों को, लेकिन कुछ मामलों में प्रवासी बच्चों को भी सुविधा मिलती है। डेनमार्क में सब कुछ लगभग फ्री है।
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