
नोटबंदी की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला आज
नई दिल्ली। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ आज यानि सोमवार को फैसला सुनाएगी। कुल 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाया जाएगा। जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर जस्टिस भूषण आर गवई जस्टिस एएस बोपन्ना जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ फैसला देगी। जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना दो फैसले सुनाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने नोटबंदी को असंवैधानिक बताया था। उन्होंने कहा था कि बिना नियम कानून के 86 फीसदी नोट बंद कर दिए गए। सरकार ने नोटबंदी के फैसले से पहले की प्रक्रिया की ठीक से जानकारी नहीं दी है। न तो 7 नवंबर 2016 को सरकार की तरफ से रिजर्व बैंक को भेजी चिट्ठी रिकॉर्ड पर रखी गई है न यह बताया गया है कि रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की बैठक में क्या चर्चा हुई। आठ नवंबर 2016 को लिया गया कैबिनेट का फैसला भी कोर्ट में नहीं रखा गया है।
केंद्र सरकार ने इसका विरोध किया था। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा था यह आर्थिक नीति का मामला है कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता। काले धन टेरर फंडिंग जाली नोट और टैक्स चोरी को काबू करने के लिए यह कदम उठाया गया। जिस तरह महाभारत में जरासंध को चीरकर दो टुकड़ों में फेंका गया था उसी तरह इन समस्याओं के भी टुकड़े किए जाना जरूरी था।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि नोटबंदी के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का वह परीक्षण कर सकता है। इस दौरान जो लोगों ने दिक्कतें सहीं वह याद रखनी चाहिए। कोर्ट ने इशारा किया कि वह भविष्य में नोटबंदी के लिए प्रक्रिया तय कर सकता है।
सात दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने सुनवाई पूरी हो गई थी। जस्टिस एसए नजीर की अगुआई में संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखने का ऐलान कर दिया था। पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार से इस मामले से संबद्ध सभी जरूरी दस्तावेज और रिकॉर्ड मुहैया कराने के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट में विवेक नारायण शर्मा की पहली याचिका सहित कुल 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर जस्टिस भूषण आर गवई जस्टिस एएस बोपन्ना जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि हमें संतुष्ट होने दें। अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि सरकार के हलफनामे में अधिकतर जानकारी लिखी हुई है लेकिन फिर भी वे सभी रिकॉर्ड सील कवर यानी बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप देंगे।
साल 2016 में लागू नोटबंदी 1946 और 1978 में हुई नोटबंदी योजना से काफी अलग थी। इसे दो चरणों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद लागू किया गया। पहले चरण में भारतीय रिजर्व बैंक की सिफारिश थी फिर अगले चरण में अधिसूचना और अध्यादेश लाया गया। अध्यादेश में उपबंध 26(1) और 26(2) की व्याख्या में सभी सवालों के जवाब मौजूद हैं।

News Editor
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!