भारतीय स्टार्टअप्स के लिए नकदी का वर्ष रहा- 2025
- वित्त पोषण में कमी, सौदों का आकार बढ़ा
नई दिल्ली। 2025 भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ। हालांकि कुल पूंजी जुटाना 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2024 में जुटाए गए 12.7 अरब डॉलर से 17 प्रतिशत कम है, औसत सौदे का आकार दोगुना होकर 14 लाख अमेरिकी डॉलर पहुंच गया। यह निवेशकों की बढ़ती परिपक्वता और गुणवत्ता पर जोर देने का संकेत है। बड़े सौदों में एरिशा ई मोबिलिटी (1 अरब डॉलर), जेप्टो (45 करोड़ डॉलर) और ग्रीनलाइन (27.5 करोड़ डॉलर) शामिल रहे। नकदी सृजन के मामले में स्टार्टअप्स ने सार्वजनिक बाजारों का रुख किया। लेंसकार्ट, ग्रो, मीशो और फिजिक्सवाला समेत 18 स्टार्टअप्स ने भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होकर कुल 41,000 करोड़ रुपये (4.5 अरब डॉलर) जुटाए। 2024 में यह आंकड़ा केवल 29,000 करोड़ रुपये था। भारत के स्टार्टअप्स का वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन बढ़ा है। 2 लाख स्टार्टअप्स में से 44,000 नए जुड़ गए, 11 नए यूनिकॉर्न बने और 18 सार्वजनिक निर्गम हुए। भारत अब अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप वातावरण बन चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 में वित्त पोषण 2025 से बेहतर रहेगा। निवेशकों की दिलचस्पी कृत्रिम मेधा (एआई), डी-2सी ब्रांड और उपभोक्ता सेवाओं में बढ़ेगी।
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