Dark Mode
  • Monday, 18 August 2025
कुशवाहा के बाद कांग्रेस भी दे सकती है नीतीश को झटका, चुनाव के बाद ही करेगी गठबंधन पर विचार

कुशवाहा के बाद कांग्रेस भी दे सकती है नीतीश को झटका, चुनाव के बाद ही करेगी गठबंधन पर विचार

नई दिल्ली । 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी एक साल से ज्यादा समय बचा है। विपक्षी दलों ने अभी से विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। एक ओर जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जल्द से जल्द एकता पर फैसला लेने की अपील की जा रही हैं। वहीं, खबर है कि कांग्रेस चुनाव के बाद गठबंधन पर विचार कर रही है। हालांकि, कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर अभी कुछ नहीं कहा है, लेकिन पार्टी 2009 के फॉर्मूले पर गठबंधन के मूड में दिख रही है।

कांग्रेस का मानना है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता तैयार करना कठिन काम है। उसका मानना है कि भाजपा विरोधी होने का दावा कर रही पार्टियों के एक वर्ग को चुनाव के बाद साथ लाया जा सकता है। एक गढ़ में एक से ज्यादा दलों के वर्चस्व ने कुछ पार्टियों को आपस में प्रतिद्वंदी बना दिया है। ऐसे में चुनाव से पहले राज्यों में गठजोड़ बनाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।

ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकार 2009 मॉडल की मदद लेने की सोच रहे हैं। जहां पार्टी विपक्ष के नेतृत्व वाली प्रगतिशील सरकार को ध्यान में रखते हुए राज्य विशेष गठबंधन की तैयारी करती है। खास बात है कि 2004 में कांग्रेस की रणनीति चुनाव से पहले गठबंधन की थी, जिसकी मदद से अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाले एनडीए को पीछे छोड़ दिया गया था।

एक कांग्रेस नेता बताते हैं केरल में सीपीएम और कांग्रेस लड़ेंगे, तेलंगाना में कांग्रेस, बीआरएस के साथ नहीं जा सकती, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम के साथ नहीं जा सकती। ये परेशानियां बनी रहेंगी। ऐसे में चुनाव से पहले हमारी महत्वकांक्षाओं को इस सच्चाई के हिसाब से तैयार किया जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया राज्यवार गठबंधन की मदद से राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की संख्या कम करने की कोशिश की जा सकती है।

उन्होंने इसके लिए झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शिवसेना, केरल में यूडीएफ, बिहार में जेडीयू-आरजेडी के साथ का हवाला दिया। कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि पार्टी से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि तेलंगाना में सीएम के चंद्रशेखर राव के साथ जुड़कर अपनी पहचान सरेंडर कर दे। हालांकि, यहां भी एक विकल्प यह हो सकता है कि कांग्रेस उन राज्यों में सीटें छोड़ दे, जहां वह मजबूत नहीं है।

 

Comment / Reply From

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!