
बिहार में कैसे बचेगा राजद का 'MY' और जदयू का 'लव-कुश'?
बिहार में कैसे बचेगा राजद का 'MY' और जदयू का 'लव-कुश'? प्रशांत किशोर नीतीश या तेजस्वी यादव किसका बिगड़ेगा खेल?
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बीतते वक्त के साथ चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। बिहार एकलौता ऐसा राज्य है जहां उम्मीदवार की जाति अभी भी बहुत मायने रखती है। क्योंकि लोग ऐसा मानते हैं कि उनकी जाति का उम्मीदवार उनके लिए दूसरों की तुलना में ज्यादा काम करेगा। सीएम नीतीश कुमार ने लव-कुश यानी कुशवाहा-कुर्मी समीकरण के सहारे खुद को सत्ता के करीब रखा है। तो वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के मुस्लिम और यादव का माय (MY) समीकरण वाले राष्ट्रीय जनता दल का आधार वोट बैंक है। बिहार में मुसलमानों की जनसंख्या जातीय जनगणना के अनुसार, 17 प्रतिशत है तो वहीं यादवों की जनसंख्या कुल 14 प्रतिशत है। बता दें कि माय (MY) समीकरण में M पहले आता है और यह मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के अलावा जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं। प्रशांत किशोर भाजपा से लड़ने के साथ-साथ महागठबंधन के वोट बैंक में भी सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि, वह इसमें कितना सफल होंगे यह तो भविष्य में पता चलेगा। प्रशांत किशोर जिस तरह की सियासत कर रहे हैं, उसमें किसका ज्यादा नुकसान होगा नीतीश कुमार या फिर तेजस्वी यादव का? खैर ये बताना तो अभी मुश्किल है, फिलहाल, बिहार में चल रहे सियासी दंगल की ओर एक नज़र डाल लेते हैं।
क्या मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा पाएंगे प्रशांत किशोर?
कुछ समय पहले प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो बिहार में बदलाव के लिए आए हैं। अगर उनकी बात बिहार की जनता समझ जाती है तो वो इतनी सीटें जीतेंगे, जिनकी गिनती करना मुश्किल हो जाएगी। प्रशांत किशोर पहले राजद नेता तेजस्वी यादव पर हमला कर रहे थे, लेकिन कुछ वक्त से उनका निशाना भाजपा की ओर मुड़ गया है। प्रशांत किशोर की राजनीति से साफ झलक रहा है कि उनकी नज़र मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण पर है और वह महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहते हैं। मुस्लिम मतदाताओं के प्रति उनकी रुचि राजद नेतृत्व के लिए गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। प्रशांत किशोर ने हाल ही में पटना के हज भवन में मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की और जेएसपी के ‘बिहार बदलाव’ के जरिए व्यापक समुदाय से जुड़ने का प्रस्ताव रखा। ऐसा करके उन्होंने महागठबंधन के नेताओं को बड़ी चुनौती दी है।
प्रशांत किशोर पर भाजपा की ‘बी टीम’ का आरोप
महागठबंधन नेतृत्व अक्सर प्रशांत किशोर पर भाजपा की ‘बी टीम’ होने का आरोप लगाता रहा है। लेकिन जब से उन्होंने बिहार में भगवा पार्टी के नेताओं पर निशाना साधना शुरू किया है, तब से भाजपा में भी खलबली है। भाजपा की ‘बी टीम’ के आरोप पर प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर पलटवार करते हुए कहा था कि आरजेडी के लोग हमें बीजेपी की बी टीम कहते हैं, इधर बीजेपी के लोग भी हमें आरजेडी की बी टीम कहती हैं।जबकि सच यह है कि जन सुराज जनता की बी टीम है। लेकिन, प्रशांत किशोर पर लग रहे आरोपों के बीच सवाल यह है कि क्या वह सच में किसी की बी टीम बनकर राजनीति कर रहे हैं या फिर उनके स्वयं के राजनीतिक लक्ष्य हैं? किसी की बी टीम बनकर उनकी राजनीति की लड़ाई हो न हो लेकिन उनका सियासी सफर लंबा होने वाला है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि 2025 में भले ही वो बहुत प्रभाव न छोड़ पाएं। लेकिन उनके टारगेट पर 2029 का लोकसभा चुनाव और 2030 का विधानसभा चुनाव भी रहेगा।
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