अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ 29 प्रतिशत बढ़े अपराध, देश में दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश
नई दिल्ली। अनुसूचित जनजाति के कल्याण और उनके हक के लिए ताल ठोंककर दावा करने वाली सरकारों के लिए ये चौंकाने वाली रिपोर्ट है। अनुसूचित जनजाति के खिलाफ पूरे देश में करीब 29 प्रतिशत अपराध बढ़े हैं। जिन राज्यों में सर्वाधिक जुल्म और अत्याचार हुए हैं उसमें मणिपुर पहले और मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर इस मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, जहां मई 2023 से मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा की आग अभी भी सुलग रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, वहां एसटी समुदाय के खिलाफ 3,399 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2022 में ऐसे मामलों की संख्या सिर्फ एक थी और 2021 में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था। राज्यवार आंकड़ों की बात करें तो मणिपुर के बाद मध्य प्रदेश का स्थान दूसरे नंबर पर है। जहां एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के 2,858 मामले दर्ज किए गए हैं।
आजादी के 78 सालों बाद भी देश के सबसे दबे-कुचले समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे बल्कि उसकी संख्या में और इजाफा हो रहा है। इस बात की तस्दीक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने की है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देशभर में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध के मामलों में करीब 29 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध के मामलों में 28.8 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2024 में एसटी समुदाय के खिलाफ देश भर में कुल 12,960 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2022 में यह संख्या 10,064 थी। राज्यवार आंकड़ों की बात करें तो मणिपुर के बाद मध्य प्रदेश का स्थान दूसरे नंबर पर है। जहां एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के 2,858 मामले दर्ज किए गए हैं। 2022 में यह संख्या 2,979 और 2021 में 2,627 थी। इसके बाद तीसरे स्थान पर राजस्थान है, जहाँ 2023 में ऐसे 2,453 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 के 2,521 मामलों से कम है, लेकिन 2021 में दर्ज 2,121 मामलों से अधिक है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!