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  • Friday, 05 September 2025
सौरभ भारद्वाज के ठिकानों पर ईडी की रेड,

सौरभ भारद्वाज के ठिकानों पर ईडी की रेड,

सौरभ भारद्वाज के ठिकानों पर ईडी की रेड, 13 जगहों पर छापेमारी के पीछे क्या है वजह?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज के घर और 13 ठिकानों पर ईडी की रेड पड़ी है। 5,590 करोड़ रुपये के कथित अस्पताल घोटाले में जांच करते हुए दिल्ली और आसपास के 13 ठिकानों पर छापेमारी. यह मामला उस समय का है जब आम आदमी पार्टी की सरकार ने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए 24 नए अस्पताल प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दी थी। योजना के अनुसार, इन अस्पतालों में आईसीयू यूनिट्स छह महीने के अंदर तैयार होने थे। लेकिन सौरभ भारद्वाज पर आरोप है कि अब तक इनमें से 50% काम भी पूरा नहीं हुआ है। जबकि 800 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। लागत में बढ़ोतरी और फंड के दुरुपयोग के आरोपों के आधार पर ईडी ने जुलाई 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। आज की छापेमारी उसी जांच का हिस्सा है।

 

ईडी की जांच में क्या सामने आया

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईडी की जांच में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। ये अस्पताल निर्माण घोटाला करीब 5,590 करोड़ का है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने सरकारी अस्पताल निर्माण से जुड़े लगभग 5,590 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच के तहत दिल्ली और उसके नजदीकी इलाकों में 13 ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी की जांच का ध्यान अस्पताल निर्माण के दौरान हुए पैसों की हेराफेरी पर है। इस अस्पताल निर्माण घोटाले में पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और मौजूदा मंत्री सौरभ भारद्वाज का नाम सामने आया है। दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर ईडी ने जांच की कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

जानबूझकर देरी का आरोप

ईडी के मुताबिक, 94 पॉलिक्लिनिक योजना बनी थी जो 168 करोड़ रुपये के लागत से बननी थी। लेकिन पॉलिक्लिनिक की निर्माण का लागत 168 करोड़ रुपये से बढ़कर 220 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। 220 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सिर्फ 52 पॉलिक्लिनिक ही बन पाए। इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि वित्तीय पारदर्शिता से बचने के लिए हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम को भी जानबूझकर रोका गया और कम लागत वाले NIC के ई-हॉस्पिटल जैसे विकल्पों को नजरअंदाज किया गया। एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच में सामने आया है कि अस्पतालों के निर्माण प्रोजेक्ट की लागत कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई थी। न केवल काम में जानबूझकर देरी की गई, बल्कि फंड का गलत इस्तेमाल भी हुआ, जिसके कारण सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। साफतौर पर कहें तो पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और मौजूदा मंत्री सौरभ भारद्वाज पर अस्पताल निर्माण के दौरान हुए पैसों के हेरफेर और उससे जुड़े राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर हुई कथित मिलीभगत के आरोप लगे हैं।

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