वित्त वर्ष 2026 में जीएसटी संग्रह राज्य बजट अनुमान से अधिक रहने की संभावना
नई दिल्ली। देश की आर्थिक प्रगति और राजस्व संग्रह में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। वित्त वर्ष 2026 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) से राज्यों की आमदनी बजट अनुमान से अधिक रहने की संभावना जताई जा रही है। केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि लगातार बढ़ते कर अनुपालन, डिजिटल लेनदेन में तेजी और आर्थिक गतिविधियों में सुधार के चलते जीएसटी संग्रह में रिकॉर्ड वृद्धि देखी जा रही है।
वित्त वर्ष 2025-26 में राज्यों के जीएसटी राजस्व में औसतन 10 से 12 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की उम्मीद है। वर्तमान वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में ही जीएसटी संग्रह 8.5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रफ्तार बनी रही तो 2026 तक कुल वार्षिक जीएसटी संग्रह 18 लाख करोड़ रुपये से ऊपर जा सकता है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2019 से 2025 के बीच कर संग्रह में सालाना औसतन 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। राज्यों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने और जीएसटी क्षतिपूर्ति अवधि समाप्त होने के बाद, यह वृद्धि उनके लिए बड़ी राहत साबित होगी।
डिजिटल निगरानी, ई-इनवॉइसिंग और फर्जी बिलिंग पर सख्ती जैसे कदमों से कर चोरी पर अंकुश लगा है। इसके अलावा, छोटे कारोबारियों को सरल जीएसटी रिटर्न प्रणाली से जोड़ा गया है, जिससे कर आधार बढ़ा है।
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ते जीएसटी राजस्व से राज्यों को विकास परियोजनाओं, सामाजिक योजनाओं और बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध होंगे। इससे देश की वित्तीय स्थिरता को भी मजबूती मिलेगी और केंद्र-राज्य संबंधों में संतुलन कायम रहेगा।
निष्कर्षतः, वित्त वर्ष 2026 भारत के कर सुधार इतिहास में एक सकारात्मक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जहाँ जीएसटी वसूली उम्मीदों से आगे निकल सकती है।
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