
गाँधी गोडसे: एक युद्ध—सेंसर बोर्ड ने नहीं काटा एक भी शब्द व दृश्य
मुंबई । गणतंत्र दिवस के मौके पर बिना किसी प्रचार तंत्र के प्रदर्शित होने जा रही राजकुमार संतोषी की फिल्म गाँधी गोडसे: एक युद्ध वैचारिक मतभेद का एक ऐसा दस्तावेज है जिसे हर उस वर्ग को देखना चाहिए जो आज यह जानना चाहता है कि किन परिस्थितियों के चलते भारत का बँटवारा हुआ और नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को गोली मारी व स्वयं फांसी पर चढ़ा। नौ साल के लम्बे अन्तराल के बाद निर्देशक राजकुमार संतोषी एक ऐसी फिल्म के जरिये वापसी करने जा रहे हैं जिसे लेकर कहीं कोई हलचल नजर नहीं आ रही है। स्वयं बॉक्स ऑफिस इससे कुछ इत्तेफाक नहीं रख रहा है।
गांधी गोडसे: एक युद्ध की कहानी भारत को मिली आजादी के इर्द-गिर्द घूमती है। निर्माता ने इस फिल्म के जरिए नाथूराम गोडसे का पक्ष रखने का प्रयास किया है। हाल ही में राजकुमार संतोषी ने अपनी इस फिल्म के बारे में ख्यातनाम अखबार से बातचीत की।राजकुमार संतोषी ने इस बारे में बात करते हुए कहा इस फिल्म का विचार हमारे दोस्त असगर वजाहत के नाटक गोडसेञ्च गांधी डॉट कॉम से आया। हालांकि वो नाटक बहुत ज्यादा स्टेज पर नहीं हुआ। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगा कि गोडसे का पक्ष पूरी तरह लोगों के सामने नहीं आ पाया है।
गोडसे को फांसी दी गई पर गोडसे को गांधी जी की हत्या का कदम उठाने पर क्यों मजबूर होना पड़ा? गोडसे के तर्क क्या थे वो 70 सालों तक दबा रहा। गोडसे के पक्ष अब पिछले चार सालों में बाहर पब्लिक डोमेन में आए हैं। राजकुमार संतोषी आगे कहते हैं हमने फिल्म में असगर वजाहत के प्ले के साथ-साथ गोडसे के जो तर्क कोर्ट में थे वो भी यूज किए हैं। गोडसे के वैसे सारे स्टेटमेंट जो कोर्ट में रिकॉर्ड हुए हैं। बेशक जेल में जो गांधी और गोडसे का संवाद और तर्क वितर्क है वहां हमने क्रिएटिव लिबर्टी ली है।
ट्रेलर में हमने गोडसे का तर्क दिखाया है कि बंटवारे के लिए कौन-कौन जिम्मेदार थे उस पर गांधी जी की दलील और सफाई लोगों को फिल्म में देखने को मिलेगी।राजकुमार संतोषी ने इस फिल्म से पहले अपनी फिल्म द लीजेंड ऑफ भगत सिंह में भी महात्मा गांधी पर पॉपुलर टेक के बजाए अलग टेक लिया था। कहानी में दिखाया गया था कि गांधी भगत सिंह के खिलाफ हैं। वो चाहते तो भगत सिंह पर अंग्रेजों की कानूनी कार्रवाई रुकवा सकते थे। इस बारे में संतोषी कहते हैं मैंने यहां भी गांधी पर अलग टेक लिया है। मैं तो डर रहा था कि फिल्म सेंसर में पास हो सकेगी या नहीं? लेकिन सेंसर ने एक वर्ड तक नहीं काटा।
राजकुमार संतोषी ने कहा मैंने फिल्म में किसी का पक्ष नहीं लिया है। मैंने सच को रखा है। गोडसे के रोल के लिए मेरी पहली पसंद सदा चिन्मय मंडलेकर रहे। मुझे मराठी एक्टर ही चाहिए था ताकि गोडसे के एक्सेंट में मराठी टच रहे। विष्णु करकरे के किरदार के लिए भी हमने मराठी एक्टर ही कास्ट किया है। इसके अलावा गांधी जी के लिए गुजराती एक्टर दीपक अंतानी को कास्ट किया है। संतोषी ने आगे कहा चिन्मय मंडलेकर को लोग आज द कश्मीर फाइल्स में बिट्टा कराटे के रोल से जानते हैं पर जब मैंने उन्हें कास्ट किया था तब तो वो फिल्म आई भी नहीं थी।

News Editor
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