कंझावला कांड सीनियर पुलिस अफसरों के क्यों नहीं लिए बयान
नई दिल्ली । दिल्ली के कंझावला कांड मामले पर रोजाना नए खुलासे और अपडेट आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से इस मामले में जो रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी गई है। अब उस पर ही सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठाने वाले और कोई नहीं दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारी ही हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने वाली कमेटी ने सिर्फ सिपाही से लेकर सब-इंस्पेक्टर के ही बयान दर्ज किए हैं।
इससे ऊपर के लेवल के अधिकारियों के बयान नहीं लिए गए हैं। ऐसे में दिल्ली के कंझावला कांड में सीनियर पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी कैसे तय होगी। बता दें कि पिछले दिनों कंझावला कांड मामले पर 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। गृहमंत्रालय की ओर से सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे। लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई थी।
गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस की विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की देखरेख में 2 डीएसपी के नेतृत्व में रिपोर्ट बनाई गई है। इसी रिपोर्ट में ही पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने कई सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि कंझावला कांड मामले पर जिला पुलिस व थाना पुलिस में आपस में कोई भी तालमेल देखने को नहीं मिला है। रिपोर्ट में पीसीआर सेवा को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया कि 13 किलोमीटर के रूट पर तैनात दो पीसीआर ने कॉल पर जाने से मना कर दिया था।
पीसीआर वैन में तैनात पुलिसवालों ने ये कहा था कि इलाका उनके थाने का नहीं है। मालूम हो कि पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने पीसीआर यूनिट को खत्म कर पीसीआर वैन को थाने के अंदर दे दिया था। इसके बाद कॉल आने पर इलाका किसका है इसको लेकर झगड़ा शुरू हो गया है। पुराने सिस्टम में कॉल मिलने पर पीसीआर तुरंत कॉल पर जाती थी। इस रिपोर्ट में पीसीआर सिस्टम की समीक्षा करने को कहा गया है।
News Editor
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