
दिल्ली नगर निगम में 10 पार्षदों को मनोनीत करने पर केजरीवाल ने एलजी को पत्र लिखा
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में 10 पार्षदों को मनोनीत करने पर दिल्ली सरकार और एलजी हाउस के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन पार्षदों की नियुक्ति को लेकर एलजी हाउस को एक बार फिर पत्र लिखा है। इस पत्र में सीएम केजरीवाल ने एलजी हाउस से कई अहम सवाल पूछे हैं।
उन्होंने एलजी हाउस से कहा कि अगर आपका यही पोजीशन है तो भारत के प्रधानमंत्री और देश के सभी मुख्यमंत्री गैर जरूरी हो जाएंगे क्योंकि कानून और संविधान में हर जगह राष्ट्रपति या राज्यपाल ही लिखा है प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का तो जिक्र कहीं नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि बीते 30 सालों से इस एक्ट और प्रावधान में पावर का इस्तेमाल मंत्रिपरिषद करती थी। लेकिन अब आपने जो बयान जारी करके कहा कि दिल्ली नगर निगम एक्ट में लिखा है कि एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करेगा।
तो क्या यह आपकी औपचारिक पोजीशन है। और क्या अब यह मान ले कि जहां-जहां पर भी कानून या संविधान में एलजी और एडमिनिस्ट्रेटर के बारे में लिखा जाएगा वहां आप बिना निर्वाचित सरकार के और अपने विवेक से काम करेंगे। सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि अगर ऐसा है तो दिल्ली की निर्वाचित सरकार गैर जरूरी हो जाएगी क्योंकि हर कानून और हर प्रावधान में एलजी/एडमिनिस्ट्रेटर का जिक्र है और लिखा है कि मंत्री परिषद उपराज्यपाल के नाम पर काम करेगी।
उन्होंने अपने पत्र में एलजी हाउस से आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 3 रिज़र्व सब्जेक्ट को छोड़कर उपराज्यपाल मंत्री परिषद की सलाह मानने को बाध्य होंगे। जबकि आपके दफ्तर ने बयान जारी किया है कि क्योंकि दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट में एलजी और एडमिनिस्ट्रेटर का जिक्र है इसलिए आप निर्वाचित सरकार को दूर रखकर सीधे ही पावर का इस्तेमाल करेंगे। ऐसे में आप कृपया कर ये स्पष्ट करें कि क्या अब से कानून या संविधान में जहां पर भी सरकार को एलजी या एडमिनिस्ट्रेटर लिखा होगा वहां पर आप इसी तरह से सीधे निर्वाचित सरकार को नजरअंदाज करके अपने विवेक से पावर का इस्तेमाल करेंगे? और क्या आप आगे भी दिल्ली सरकार को ट्रांसफर किए गए सब्जेक्ट के मामले में भी ऐसा ही करेंगे?

News Editor
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