शरीर और मन दोनों को संतुलित करता है सिद्धासन
नई दिल्ली। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब तक कोई शारीरिक या मानसिक समस्या सामने नहीं आती, तब तक सेहत को प्राथमिकता नहीं दी जाती। ऐसे में योग का एक प्राचीन और प्रभावशाली आसन सिद्धासन, शरीर और मन दोनों को संतुलित करने में अहम भूमिका निभा सकता है। सिद्धासन योग विज्ञान के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण ध्यानात्मक आसनों में से एक माना जाता है। ‘सिद्ध’ शब्द का अर्थ है पूर्णता या ज्ञान की अवस्था। यह योग मुद्रा ध्यान और साधना के लिए विशेष रूप से उपयोग की जाती रही है। इस आसन में बैठकर साधक अपनी ऊर्जा को केंद्रित करता है और मन को एकाग्र करता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, सिद्धासन सिद्ध चिकित्सा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण योगिक अभ्यास है, जो ‘चित्ति’ यानी पूर्णता की भावना से जुड़ा हुआ है। यह आसन मन को शांत करता है और शरीर की ऊर्जा यानी प्राण को ऊपर की ओर प्रवाहित करने में मदद करता है, जिससे मानसिक स्पष्टता और स्थिरता बढ़ती है। नियमित रूप से सिद्धासन का अभ्यास करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर की कार्यक्षमता में सुधार आता है। योग विशेषज्ञों के अनुसार, यह आसन दमा, मधुमेह जैसी कई शारीरिक समस्याओं में लाभकारी हो सकता है। इसके साथ ही यह मानसिक तनाव को कम करने, एकाग्रता बढ़ाने और ध्यान की क्षमता को विकसित करने में सहायक है।
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