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  • Tuesday, 19 August 2025
शिवसेना की टूट से पैदा राजनीतिक संकट से जुड़ी याचिकाओं पर 14 फरवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

शिवसेना की टूट से पैदा राजनीतिक संकट से जुड़ी याचिकाओं पर 14 फरवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना के विभाजन से उत्पन्न राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर 14 फरवरी को सुनवाई शुरू करेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ से उद्धव ठाकरे शिवसेना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट संबंधी मामलों को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजे जाने का अनुरोध करेंगे ताकि वह अयोग्यता संबंधी याचिकाओं के निपटारे के लिए विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों से जुड़े 2016 के फैसले पर फिर से विचार करें।

सिब्बल ने पीठ से कहा हमने सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष मामलों के संदर्भ में ब्यौरे दाखिल किए हैं। उन्होंने (शिवसेना के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले धड़े ने) जवाब दाखिल किया है। पीठ में न्यायमूर्ति एमआर शाह न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा हम इसे सुनवाई के लिए 14 फरवरी को रखेंगे। सात न्यायाधीशों की पीठ को मामले का संदर्भ दिए जाने की मांग कर रहे सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए एक फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया।
5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 2016 में नबाम रेबिया मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिये पहले दिए गए नोटिस पर सदन में निर्णय लंबित है तो विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकते।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के बागी विधायकों के लिए यह निर्णय विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि सीताराम जिरवाल को हटाने संबंधी नोटिस लंबित होने के आधार पर शीर्ष अदालत में लाभकारी साबित हुआ। इस साल की शुरुआत में शिवसेना विधायक शिंदे और 39 अन्य विधायकों द्वारा पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने के बाद राज्य में ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। महा विकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल थीं। शिवसेना में बगावत के कारण ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट और शिंदे के नेतृत्व वाला गुट अलग हो गए।

 

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