सुप्रीम कोर्ट वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए समय सीमा बढ़ाने की याचिका पर करेगा सुनवाई
नई दिल्ली,। सुप्रीम कोर्ट नेऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका को सुनवाई के लिए फिर से सूचीबद्ध करने पर सोमवार को सहमति जताई, जिसमें वक्फ बाय यूजर समेत सभी वक्फ संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। याचिका को 28 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था, लेकिन उस दिन सुनवाई नहीं हो सकी थी।
सोमवार को ओवैसी के वकील ने चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष मामले को तुरंत सुनवाई के लिए रखने का अनुरोध किया। सीजेआई ने कहा कि हम एक नई तारीख तय करेंगे। वकील ने बताया कि वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य पंजीकरण के लिए तय छह महीने की अवधि समाप्त होने के करीब है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को अंतरिम आदेश के तहत वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगा दी थी। इनमें यह प्रावधान शामिल था कि केवल पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्ति ही वक्फ बना सकते हैं। हालांकि पूरे कानून को रद्द नहीं किया गया था।
कोर्ट ने कहा था कि नए संशोधित कानून में वक्फ बाय यूजर प्रावधान हटाने का केंद्र सरकार का आदेश प्रथम दृष्टया मनमाना नहीं था और इस दलील का कोई आधार नहीं है कि सरकार वक्फ संपत्ति जब्त कर लेगी। औपचारिक दस्तावेज के बिना लंबे समय तक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाए जाने के कारण वक्फ के रूप में मान्यता हासिल करने वाली संपत्ति को वक्फ बाय यूजर कहा जाता है।
ओवैसी के वकील ने कोर्ट से कहा कि संशोधित कानून के मुताबिक वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए छह महीने का समय दिया गया था और पांच महीने न्यायालय के फैसले के दौरान निकल गए, अब केवल एक महीना बाकी है।
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