ट्रंप का बदला रुख: यूक्रेन को दिख रही उम्मीद की किरण, रूस पर बढ़ा दबाव
न्यूयॉर्क,। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने अब तक के रुख से उलट सख्त बयान देकर सबको चौंका दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर दिए गए उनके इस बयान ने यूक्रेन को नई ऊर्जा दी है तो वहीं रूस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन अपने उन सभी इलाकों को वापस हासिल कर सकता है, जिन्हें रूस ने 2014 से अब तक कब्जे में ले रखा है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि यदि रूसी विमान नाटो देशों के हवाई क्षेत्र में घुसते हैं तो उन्हें मार गिराया जाना चाहिए। यह बयान ट्रंप के पुराने रुख से बिल्कुल अलग है, जिसमें वह संकेत देते थे कि युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन को कुछ हिस्से रूस को छोड़ने पड़ सकते हैं।
जेलेंस्की की खुशी, रूस की टेंशन
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्रंप की इस टिप्पणी को बड़ा बदलाव बताते हुए कहा कि ट्रंप अब युद्ध की वास्तविक स्थिति को बेहतर समझ चुके हैं। उन्होंने इसे गेमचेंजर करार दिया। जेलेंस्की का कहना है कि उन्हें भरोसा है, इस नए दृष्टिकोण से युद्ध के हालात में यूक्रेन को मजबूती मिलेगी। वहीं रूस के लिए यह बयान बड़ा झटका है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि रूस आर्थिक संकट में है, उसकी छवि अब पेपर टाइगर जैसी हो गई है और युद्ध उसके लिए बेहद महंगा साबित हो रहा है। ऊर्जा संसाधन जुटाने में कठिनाई और लंबे युद्ध की थकान रूस की कमजोरी को उजागर कर रही है।
अमेरिकी विदेश मंत्री की अलग राय
हालांकि, ट्रंप के इस बयान से अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो सहमत नहीं दिखे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि यह युद्ध केवल सैन्य तरीके से खत्म नहीं हो सकता और अंततः बातचीत की मेज पर ही समाधान तलाशना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर शांति का रास्ता नहीं निकला तो यह संघर्ष पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो जाएगा।
नाटो कदम उठाने से पहले बरतेगा सतर्कता
हाल ही में रूसी विमानों द्वारा पोलैंड और एस्टोनिया जैसे नाटो देशों के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन यूरोप की चिंता बढ़ा चुका है। नाटो महासचिव मार्क रुटे ने कहा कि किसी रूसी विमान को गिराने का फैसला परिस्थिति और खतरे के आकलन पर आधारित होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाटो हर कदम उठाने से पहले पूरी सतर्कता बरतेगा।
यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि ट्रंप ने अपने बयान में केवल यूरोपीय संघ और नाटो का ज़िक्र किया, लेकिन अमेरिका की अतिरिक्त मदद को लेकर कोई रुख साफ नहीं किया। यह संकेत अब भी धुंधले हैं कि वॉशिंगटन वास्तव में सैन्य और आर्थिक स्तर पर यूक्रेन को कितना सहयोग देगा। कुल मिलाकर, ट्रंप के इस रुख ने कूटनीतिक और सैन्य हलकों में नई हलचल मचा दी है। यह बयान जहां यूक्रेन के लिए उम्मीद का संचार करता है, वहीं रूस के लिए दबाव का कारण बन गया है। लेकिन क्या यह बदलाव व्यवहारिक नीतियों में तब्दील होगा या केवल राजनीतिक संदेश भर रहेगा, यह आने वाला समय तय करेगा।
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