अडानी को मलेशिया और आबूधाबी से सहारे की उम्मीद
भंवर में फंसी नैया को पार लगाने अडानी ने आबूधाबी मे जमाया डेरा
मुंबई। हिंडन बर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह की कंपनियों पर आया तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक जो भी प्रयास किए गए, वह सारे के सारे निस्फल साबित हो गए हैं।
भारत सरकार से और भारत की वित्तीय एजेंसियों द्वारा भी पिछले 1 सप्ताह में अडानी समूह की कंपनियों की अपरोक्ष मदद की। लेकिन शेयर बाजार में उसके भी कोई अच्छे परिणाम देखने को नहीं मिले। शेयर बाजार में लगातार अडानी समूह की कंपनियों के शेयर की बिकवाली जारी है। शॉर्ट सेलिंग पर रोक लगाई जाने का उपाय भी काम नहीं आया। जिसके कारण अडानी समूह की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं।
अबूधाबी में गौतम अडानी ने डाला डेरा
अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सारी ताकत अबूधाबी में झोंक रहे हैं। वह अबूधाबी से दीर्घकालीन लम्बा कर्ज लेने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी ही कोशिश मारीशस में भी अडानी परिवार कर रहा है। अडानी परिवार को यह समझ आ गया है, कि इस तूफान से यदि निपटना है। तो उसे राजनीतिक और कारपोरेट दांवपेच के साथ-साथ बड़ी मात्रा में पूंजी एकत्रित करना होगी। अन्यथा अदानी समूह के साम्राज्य को बचाए रखना संभव नहीं होगा।
अडानी समूह के सूत्रों के अनुसार कंपनियों को बचाने के लिए गौतम अडानी ने अपनी सारी ताकत नई पूंजी जुटाने में लगा दी है। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलेगी। इसको लेकर समूह को खुद संदेह है। वर्तमान स्थिति में केवल मारीशस और अबूधाबी ही उनकी आशा की अंतिम किरण के रूप में है।
अब देखना यह है,कि उन्हें पूंजी जुटाने में कितनी सफलता मिल पाती है। बूंदी पूंजी जुटाने की सफलता उन्हें इस सप्ताह में नहीं मिली, तो गौतम अडानी को अपना एंपायर बचाए रखना बड़ा मुश्किल होगा।
Sunil Singh
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