आंवला रक्त को शुद्ध करने में कारगर उपाय
नई दिल्ली। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो आपके किचन में कई ऐसी देसी चीजें हैं, जो रक्त को साफ करने में मददगार हैं। सर्दियों में बाजार में आसानी से मिलने वाला आंवला रक्त को शुद्ध करने में कारगर माना जाता है। इसे खाली पेट खाया जा सकता है या इसका चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।
इसी तरह तुलसी भी हर घर में पाई जाती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रक्त को साफ करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। तुलसी की चाय या काढ़ा इसका सेवन करने का अच्छा तरीका है। नीम के पत्ते और दातून भी रक्त और शरीर दोनों को साफ करने के लिए प्रभावी हैं। सुबह खाली पेट नीम की कुछ पत्तियां चबाना लाभकारी होता है। हल्दी भी हर किचन में होती है और रोजाना खाने में इस्तेमाल होती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन शरीर से विषैले पदार्थ निकालकर रक्त को शुद्ध करता है। मंजिष्ठा एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसकी जड़ को रक्त शोधक माना जाता है। यह न केवल रक्त को साफ करती है, बल्कि स्किन पर निखार लाती है और बालों को भी मजबूती देती है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण, जिसमें आंवला, हरण और बहेड़ा शामिल हैं, आंतों और पेट को साफ करता है, जिससे पाचन सुधरता है और भोजन अच्छे से खून में मिलता है। चिरायता का स्वाद कड़वा और कसैला होता है, लेकिन यह रक्त शुद्धि के लिए बेहतरीन है। इसके अलावा गिलोय, गाजर का रस, चुकुंदर का रस और गुड़मार का नियमित सेवन भी रक्त को साफ करने में सहायक होता है।
इन देसी उपायों का सही तरीके से इस्तेमाल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, त्वचा को निखारता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। रक्त शुद्धि केवल आयुर्वेदिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन के लिए भी आवश्यक है। मालूम हो कि शरीर के हर अंग को पोषण और ऊर्जा देने का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है रक्त। लेकिन जब रक्त में अशुद्धियां प्रवेश कर जाती हैं, तो यह शरीर के लिए कई बीमारियों का कारण बन सकता है। आयुर्वेद में इसे रक्तदूषा कहा गया है। रक्त यदि दूषित हो, तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। ऐसे में इसे शुद्ध रखना बेहद जरूरी है।
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