
आठ साल की उम्र में संन्यासी बनी सूरत के हीरा कारोबारी की बेटी देवांशी संघवी
सूरत । गुजरात में सूरत के एक हीरा कारोबारी की 8 साल की बेटी ने आलीशान जिंदगी त्याग कर संन्यास धारण करने का फैसला लिया है। खेलने-कूदने की उम्र में ही डायमंड कारोबारी धनेश की बेटी ने बुधवार को जैन धर्म ग्रहण कर संन्यास मार्ग पर चलने की दीक्षा ले ली। हीरा कारोबारी की बेटी का नाम देवांशीं संघवी है जो दो बहनों में सबसे बड़ी है। मंगलवार को जैन धर्म के दीक्षा कार्यक्रम में देवांशी ने दीक्षा ग्रहण कर ली।
हीरा कारोबारी की बेटी देवांशी संघवी ने 367 दीक्षा इवेंट्स में भाग लिया और इसके बाद वह संन्यास धारण करने के प्रति प्रेरित हुई। देवांशी के परिवार के निकट एक व्यक्ति ने बताया कि उसने आज तक न कभी टीवी देखी और न कभी मूवी। इतना ही नहीं वह कभी किसी रेस्टोरेंट भी नहीं गई। अगर देवांशी संन्यास का मार्ग नहीं चुनतीं तो बालिग होने पर करोड़ों की हीरा कंपनी की मालिकिन होतीं।
दरअसल देवांशी राज्य की सबसे पुरानी हीरा बनाने वाली कंपनियों में से एक संघवी एंड संस के मोहन संघवी के इकलौते बेटे धनेश संघवी की बेटी हैं। बता दें कि धनेश संघवी जिस हीरा कंपनी के मालिक हैं उसकी दुनियाभर में शाखाएं हैं और सालाना टर्नओवर करीब सौ करोड़ का है। देवांशी की छोटी बहन का नाम काव्या है और उसकी उम्र पांच साल है। आचार्य विजय कीर्तियशसूरि ने देवांशी को दीक्षा दिलाई।
हीरा कारोबारी धनेश और उनका परिवार बहुत अमीर है लेकिन उनकी जीवन शैली बहुत सरल और सादा रही है। यह परिवार शुरू से ही बेहद धार्मिक रहा है और देवांशी भी बचपन से ही दिन में तीन बार प्रार्थना का नियम पालन करती आई है।
8 साल की देवांशी हिंदी इंग्लिश समेत कई भाषाओं की जानकार है। इतना ही नहीं देवांशी संगीत में भी पारंगत है और डांस और योगा में भी बहुत सहज है। देवांशी का बचपन से ही वैराग्य की तरफ झुकाव था यही वजह है कि उसने कम उम्र में ही अपने गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया था।

News Editor
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