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  • Friday, 05 September 2025
Ghaziabad News : कुत्ते को बचाने के चक्कर में गई महिला दरोगा की जान,

Ghaziabad News : कुत्ते को बचाने के चक्कर में गई महिला दरोगा की जान,

Ghaziabad News : कुत्ते को बचाने के चक्कर में गई महिला दरोगा की जान, कार ने मारी टक्कर

दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद में कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। गाज़ियाबाद में आवारा कुत्ते से टकराने के कारण सब-इंस्पेक्टर ऋचा सचान की मौत हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवारा कुत्‍ते पहले ही चर्चा में हैं, अब इस घटना के बाद ये मुद्दा और गहरा गया है। सब-इंस्पेक्टर ऋचा सचान मूल रूप से कानपुर की रहने वालीं हैं, और वह गाजियाबाद के कविनगर थाने में ड्यूटी कर रही थीं। कल रात कविनगर क्षेत्र में ऋचा सचान की बाइक एक आवारा कुत्ते से बचने के प्रयास में असंतुलित हो गई और सामने से आती कार से भिड़ंत हो गई। ऋचा की बाइक अनियंत्रित होकर गिर गई और दूर तक सड़क पर घिसटती हुई चली गईं। इस बात की सूचना मिलने पर मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने घायल महिला को नजदीकि अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। पुलिस ने मेडिकल परीक्षण कराकर शव परिजनों को सौंप दिया है।

 

क्‍या मिलेगा कोई मुआवजा?

ऋचा सचान की मौत के बाद मुआवजा और कानूनी प्रावधानों पर सवाल उठ रहे हैं। ऋचा सचान उत्तर प्रदेश पुलिस की युवा अधिकारी थीं। सरकारी नौकरी में होने की वजह से उनके परिवार को राज्य से मुआवजा और सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि यही हादसा किसी आम नागरिक के साथ घटता, तो क्या उसके परिवार को भी आर्थिक सहारा मिलता? आपको बता दें कि कुत्तों के काटने या उनसे हुए हादसे की वजह से आम नागरिक की मौत पर कानूनी तौर पर कोई राष्ट्रीय स्तर का मुआवजा प्रावधान फिलहाल मौजूद नहीं है। आम नागरिक के लिए यह न्याय पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। अगर किसी पालतू कुत्ते ने काटा या उनकी वजह से हादसा हो तो उसका मालिक कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वो भी तब संभव है जब पीड़ित परिवार कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक के बावजूद भी देश में इस विषय पर विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार नगर निगमों को कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण और टीकाकरण पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन जमीन पर हालात बदलते नहीं दिख रहे।

 

आवारा कुत्‍तों के काटने के ये आंकड़े

रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल में 3 लाख लोग कुत्‍तों के काटने के शिकार हो गए। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं, और बता दें कि ये आंकड़ा सिर्फ उन लोगों का है, जो कुत्‍तों के काटने के बाद अस्‍पताल पहुंचे थे। वास्तविक संख्या इससे भी कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों ने प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिकों में भी इलाज कराया होगा। लेकिन जो लोग भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं उनसे हमारा सवाल है कि ऋचा सचान की मौत के बाद अब आप क्या कहेंगे? कभी कुत्तों के काटने से तो कभी सड़क पर उनके टकराने से कई बेकसुर लोगों की जान चली जाती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवारा कुत्‍ते पहले ही चर्चा में हैं, अब इस घटना के बाद ये मुद्दा और गहरा गया है।

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