चीन की सीमा पर ह्यूमन शील्ड तैयार करेगी सरकार
रिहायशी इलाकों में व्यापक विकास कार्यों का खाका खींचा
नई दिल्ली । भारतीय सीमा पर चीन के दुस्साहसिक गतिविधियों को देखते हुए भारत ने दो बड़े फैसले लिए हैं। केंद्रीय कैबिनेट ने सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकने और लोगों को वापस बसाने के लिए उत्तरी सीमा से लगते रिहायशी इलाकों में व्यापक विकास कार्यों का खाका खीचा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए 48 हजार करोड़ रुपए की धनराशि को मंजूरी दी गई है।
सरकार बॉर्डर पर लोगों को स्थायी रूप से बसाकर एक तरह का ह्यूमन शील्ड तैयार करना चाहती है। इसके साथ ही अरुणाचल में बॉर्डर के चप्पे-चप्पे की सुरक्षा के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की सात नई बटालियनों को स्वीकृति दी गई है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम पर कैबिनेट का निर्णय दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले कई लोगों के लिए फायदेमंद होगा।
पर्यटन, कौशल विकास, उद्यमिता प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से होंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 48 हजार करोड़ रुपए के आवंटन के साथ चालू वित्त वर्ष से 2025-26 तक के लिए केंद्र सरकार की फंडिंग पर बॉर्डर स्टेट्स के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को मंजूरी दी है। इन क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख शामिल हैं।
कैबिनेट के फैसले पर गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और वहां के लोगों के जीवनस्तर को ऊपर उठाने के लिए पहली बार कोई सरकार इतने संकल्पित भाव से काम कर रही है। कैबिनेट द्वारा स्वीकृत ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ से 663 सीमावर्ती गांवों का कायाकल्प होगा, जिससे पलायन रुकेगा और सीमा सुरक्षा ज्यादा मजबूत होगी।
दरअसल, कैबिनेट के इस फैसले का मकसद चार राज्यों के 19 जिलों और 46 बॉर्डर ब्लॉकों के कुल 29 हजार 66 सीमावर्ती गांवों का व्यापक विकास करना है। पहले चरण में 663 गांवों पर फोकस किया जाएगा। सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि सीमा के पास स्थायी बसावट से सुरक्षा बढ़ेगी। विकास और मूलभूत सुविधाएं मिलने से लोगों में देशभक्ति की भावना बढ़ेगी।
बॉर्डर के पास दुश्मन की हर हलचल की जानकारी और लगातार अपडेट मिलता रहेगा। यही नहीं, इस तरह के स्थायी बसावट से सीमा वार्ता के दौरान भारत के क्षेत्रीय दावे को मजबूती मिलेगी और पड़ोसी देश की अतिक्रमण की किसी भी कोशिश को रोका जा सकेगा।
आईटीबीपी में 88 हजार 430 जवान हैं, जो लद्दाख में काराकोरम पास से लेकर अरुणाचल प्रदेश में जासेप ला तक 34 हजार 88 किमी लंबी भारत-चीन सीमा की सुरक्षा में तैनात हैं। सूत्रों ने मीडिया को बताया कि सात अतिरिक्त आईटीबीपी बटालियन बनाने के प्रस्ताव पर 2014-15 से ही विचार चल रहा था। इसके तहत 9 हजार 400 जवानों की भर्ती की जाएगी।
एक आईटीबीपी सूत्र ने बताया कि सभी सातों बटालियनों को अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ लगती एलएसी पर 47 नई सीमा चौकी और 12 कैंपों पर तैनात किया जाएगा। एक अतिरिक्त सेक्टर हेडक्वॉर्टर (आईटीबीपी के लिए 16वां) को भी मंजूरी दी गई है। जून 2020 में लद्दाख के गलवान में खूनी झड़प के बाद से भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। हाल में 9 दिसंबर को अरुणाचल के तवांग में भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। ऐसे में इस तरह की चाक-चौबंद व्यवस्था को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Sunil Singh
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