
हिंदुत्व एक जीवन शैली है..... नाम बदलो आयोग की मांग पर बोला -SC
नई दिल्ली। देश के धार्मिक स्थानों, पुरातत्व स्थलों और अहम स्मारकों के नाम बदलने के लिए आयोग गठित करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत में 'नाम बदलो आयोग' की मांग करते हुए एक पीआईएल दाखिल की गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि भारत सेक्युलर देश है और हिंदुत्व जीवनशैली है, जो सभी को अपने आप में समाहित कर लेती है। यही नहीं अदालत ने नाम बदलो आयोग की मांग को भी उपद्रव की मंशा वाला करार दिया। बेंच ने कहा कि ऐसा करने से मुद्दे जिंदा रहेंगे और देश में उबाल की स्थिति बनी रहेगी।
वकील अश्विनी उपाध्याय की अर्जी पर बेंच में शामिल जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना ने कहा कि इससे तो देश में उबाल की स्थिति बनी रहेगी और विवादित मुद्दे हमेशा जिंदा रहेंगे। बेंच ने कहा कि यह सत्य है कि हमारे देश पर हमले हुए थे और विदेशी ताकतों के हाथ में भी सत्ता रही। लेकिन हम इतिहास के एक ही हिस्से को नहीं पढ़ सकते, उसे समग्र दृष्टि से देखना होगा। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि हमारा देश सेक्युलर है और हिंदुत्व एक जीवनशैली है, जो सभी को अपने आप में समाहित कर लेती है। जजों ने कहा कि देश के इतिहास को इस तरह नहीं देखना चाहिए कि वह वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को डराए ।
सड़कों के नाम न बदले जाने पर उठाया सवाल
दरअसल इसी महीने की शुरुआत में उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने मांग की थी कि केंद्र सरकार को अदालत 'नाम बदलो आयोग के गठन का आदेश दे। उपाध्याय का कहना था कि इस आयोग के जरिए उन स्थानों, स्मारकों और शहरों के नाम बदले जाएं, जिन्हें देश पर आक्रमण करने वाले विदेशी लोगों ने बदल दिया था। पीआईएल में कहा गया कि हाल ही में सरकार ने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है। लेकिन इसके बाद भी कई सड़कों के नाम नहीं बदले गए हैं, जो आक्रांताओं के ऊपर हैं।
उपाध्याय ने कहा, अब भी आक्रांताओं के नाम पर कई स्मारक
यही नहीं उपाध्याय ने कहा कि इस तरह आक्रांताओं के नाम पर अभी स्मारकों और स्थानों के नाम हैं। यह नागरिक के तौर पर हमारी संप्रभुता और नागरिक अधिकारों के खिलाफ है। यही नहीं पीआईएल में कहा गया कि अदालत एएसआई को भी आदेश दे सकती है कि वह रिसर्च करे और तमाम स्मारकों, शहरों के पुराने नामों की जानकारी हासिल करे। इसके बाद उन नामों के आधार पर ही नए सिरे से नामकरण किए जाएं। उन्होंने कहा कि आज देश आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है, लेकिन कई स्थानों के नाम अब भी आक्रांताओं के ऊपर ही हैं।

News Editor
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