गलवान और पैंगोंग में बढ़ी हलचल
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना ने अपनी गतिविधियां बढ़ाईं
नई दिल्ली । दिल्ली में जी-20 सम्मेलन का दौर चल रहा है। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात भी हुई. जयशंकर पहले भी चीन के साथ संबंधों को असमान्य बता चुके हैं। इस बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। लद्दाख में गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सेना की टुकड़ियों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
सेना के जवानों ने एलएसी के आस-पास के इलाकों में घोड़ों और खच्चरों से सर्वेक्षण किया। इसके अलावा पैंगोंग झील पर हाफ मैराथन जैसी गतिविधियां कीं। इससे पहले इंडियन आर्मी की ओर से तस्वीरें जारी की गई थीं, जिसमें भारत की सेना पूर्वी लद्दाख में क्रिकेट खेलती दिख रही है। पूर्वी लद्दाख चीन और भारत के बीच मई 2020 से टकराव का केंद्र रहा है। इस टकराव की वजह से दोनों देशों में मिलिट्री टेंशन भी पैदा हुआ है।
हालांकि भारत की सेना ने उस एरिया का खुलासा नहीं किया है जहां जवान क्रिकेट खेल रहे हैं लेकिन मैप के जरिए स्थान को खोज निकाला है। इंडियन आर्मी के जवान जहां क्रिकेट खेल रहे हैं वो जगह पेट्रोल प्वाइंट 14 से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। बता दें कि पेट्रोल प्वाइंट 14 वही जगह हैं जहां जून 2020 में चीनी सेना ने भारत के जवानों पर विश्वासघात कर हमला किया था।
इस हमले में देश के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीन ने काफी समय बाद माना कि उसके भी 5 जवान मारे गए। लेह से ऑपरेट करने वाली इंडियन आर्मी की 14 कॉर्प्स ने ट्वीट किया कि पटियाला ब्रिगेड, त्रिशूल डिवीजन ने शून्य से नीचे तापमान में अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में पूरे उत्साह और जोश के साथ क्रिकेट मैच का आयोजन किया. हम असंभव को संभव बनाते हैं।
बता दें कि जिस स्थान पर भारतीय सेना क्रिकेट खेल रही है वह स्थान भारत और चीन की ओर से आमने-सामने के टकराव से बचने के लिए बनाए गए बफर जोन से अच्छी खासी दूरी पर है। दोनों देशों की सेनाओं से टकराव से बचने के लिए अपने अपने पोजिशन से 1.5 किलोमीटर पीछे हटने का फैसला किया और ये स्थान बफर जोन में तब्दील हो गया है। इंडियन आर्मी ने इस क्षेत्र में पहला कैंप 700 मीटर पीछे हटकर बनाया है. इसके बाद भारत की सेना का कैंप नंबर-2 और कैंप नंबर-3 है. ये कैंप लगभग समान दूरी पर मौजूद हैं ताकि चीनी गतिविधियों पर निगाह रखी जा सके।
Sunil Singh
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