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  • Tuesday, 19 August 2025
एलसी विक्टोरिया गौरी बनीं मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस

एलसी विक्टोरिया गौरी बनीं मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका की खारिज


चैन्नई । तमिलनाडु में एडवोकेट एलसी विक्टोरिया गौरी को लेकर घमासान मचा हुआ है। एडवोकेट एलसी विक्टोरिया गौरी को हाई कोर्ट की जस्टिस बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। विक्टोरिया गौरी ने हाई कोर्ट जस्टिस पद की मंगलवार शपथ ली।

यह केस बेहद चिलचस्प इसलिए था, क्योंकि मंगलवार को एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट में उन्हें न्यायाधीश बनाने को लेकर सुनवाई चल रही है, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने शपथ ग्रहण कर ली। सुप्रीम कोर्ट ने पहले शुक्रवार को सुनवाई का फैसला किया था, मगर केंद्र ने एडवोकेट गौरी के नाम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। केंद्र ने गौरी समेत 13 नाम हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति के लिए क्लियर कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि एडवोकेट गौरी मदुरै बेंच में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के तौर पर केंद्र का पक्ष रखती हैं। मद्रास हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के कुछ वकीलों ने चीफ जस्टिस को लेटर लिखकर जस्टिस के तौर पर उनका नाम वापस लेने की गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट बार के वकीलों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम और क्रिश्चियन कम्युनिटी के खिलाफ विक्टोरिया गौरी ने आपत्तिजनक बयान दिए हैं। उन पर बीजेपी से संबद्ध होने का भी आरोप लगाया गया था।

केंद्र सरकार ने 13 नामों को जस्टिस बनाने दी थी मंजूरी
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह याचिका मद्रास हाई कोर्ट के सीनियर वकीलों की ओर से दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के सामने राजू रामचंद्रन ने कहा कि मामले की जल्द सुनवाई की जाए। तब कोर्ट ने मामले में मंगलवार को सुनवाई का फैसला किया। सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई शुरू हुई और सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

केंद्र सरकार ने 13 नामों को हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति के लिए मंजूरी दी थी। इसमें 11 वकील और दो ज्युडिशियल ऑफिसर का नाम हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। विधि मंत्रालय के सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति एडवोकेट एलसी विक्टोरिया गौरी, पीबी बालाजी, केके रामकृष्णन और न्यायिक अधिकारी आर कलैमाथी और जी थिलाकावती को दो साल के लिए हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते हैं।

 

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