सुधा और नारायण मूर्ति ने जाति बताने से किया मना, अब खड़े हो रहे नए-नए सवाल
इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने जाति जनगणना में भाग लेने से इंकार कर दिया है। उनकी इस ‘ना’ ने कर्नाटक सरकार की इस पूरी कवायद पर से चर्चा में ला दिया है।
जाति जनगणना करने वाली टीम जब मूर्ति बेंगलुरु स्थित मूर्ति दंपत्ति के घर गई तो उन्होंने जाति जनगणना में भाग लेने से इनकार कर दिया और लिखित रूप में कहा कि वे किसी पिछड़े वर्ग से संबंधित नहीं हैं और यह सर्वेक्षण उनके लिए किसी भी प्रकार का लाभकारी नहीं है।
बता दें कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग यह सर्वेक्षण कराया है। इसमें कर्नाटक के करीब सात करोड़ लोगों की जानकारी एकत्र की गई है।सर्वे अधिकारी बेंगलुरु में चल रहे कर्नाटक जाति जनगणना अभियान के तहत मूर्ति दंपति के घर पहुंचे थे। उन्होंने अधिकारियों के साथ सहयोगपूर्ण व्यवहार किया, लेकिन जानकारी देने से विनम्रता पूर्वक इनकार करते हुए एक स्व-घोषणा पत्र सौंपा, जिसमें अपने निर्णय का कारण बताया गया। पत्र में लिखा था, हम किसी भी पिछड़ी जाति से संबंधित नहीं हैं, और यह सर्वेक्षण हमें कोई लाभ नहीं देगा। इसलिए हम इस जाति जनगणना में भाग नहीं ले रहे हैं। कर्नाटक की जाति जनगणना, जिसे ‘सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण’ भी कहा गया है, राज्य के निवासियों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का आकलन करने के लिए एक राज्य-स्तरीय सर्वेक्षण है। इसका उद्देश्य राज्य की विभिन्न जातियों और समुदायों की वास्तविक स्थिति को समझना है ताकि भविष्य में नीतियां बनाई जा सकें।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!