
कोर्ट ने कहा- मंदिर के फंड से मैरिज हॉल बनाने की क्या जरुरत, वहां अश्लील डांस भी होगा
नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार ने अदालत के समक्ष दलील दी कि विवाह हॉलों का निर्माण सार्वजनिक हित में किया जा रहा है और राज्य में मंदिर परिसरों में विवाह होना सामान्य परंपरा है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और जयदीप गुप्ता ने कहा कि मंदिरों में विवाह हमेशा धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार होते हैं, जहां संगीत और नृत्य की गुंजाइश नहीं रहती।
तमिलनाडु सरकार के मंदिरों के फंड का उपयोग विवाह मंडप बनाने में करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि धार्मिक स्थलों की संपत्तियों और प्रांगण का उपयोग विवाह भवन निर्माण के लिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसे स्थानों पर भद्दे नृत्य और गीत चलने की आशंका रहती है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे हॉलों में केवल नृत्य और संगीत ही नहीं होंगे, बल्कि शराब परोसने जैसी गतिविधियां भी हो सकती हैं और उन पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।
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