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  • Tuesday, 04 November 2025
खामेनेई ने जहां ईरान को परमाणु हथियारों की ज़रूरत नहीं कहा वहीं उन्होंने अमेरिका से सीधी बातचीत से भी किया इनकार

खामेनेई ने जहां ईरान को परमाणु हथियारों की ज़रूरत नहीं कहा वहीं उन्होंने अमेरिका से सीधी बातचीत से भी किया इनकार

दुबई,। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने स्पष्ट किया है कि उनका देश परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है और न ही उन्हें इसकी आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांति और ऊर्जा जरूरतों तक सीमित है। साथ ही उन्होंने अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर किसी भी सीधी बातचीत से साफ इनकार कर दिया है।
ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई का यह बयान ऐसे समय में आया, जबकि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में शामिल होने न्यूयॉर्क पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि यह टिप्पणी राष्ट्रपति और अमेरिकी प्रतिनिधियों के बीच संभावित संवाद की संभावना को कमजोर कर सकती है। खामेनेई का यह भाषण ईरानी सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित हुआ। खामेनेई की यह टिप्पणी ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची की यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों से हुई मुलाकात के बाद आई है। इन मुलाकातों का उद्देश्य था आगामी परमाणु प्रतिबंधों को फिर से लागू होने से रोकना, क्योंकि रविवार से ये प्रतिबंध बहाल हो सकते हैं।


पेजेशकियन का सख्त रुख
यहां बताते चलें कि कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा था कि ईरान किसी भी तरह के दबाव या पाबंदियों के आगे झुकेगा नहीं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा तेहरान पर स्थायी रूप से प्रतिबंध न हटाने के फैसले के बाद उन्होंने कहा, वे स्नैपबैक मैकेनिज्म के जरिए रास्ता रोक सकते हैं, लेकिन हम दिमाग और विचार से नया रास्ता बनाएंगे। पेजेशकियन ने यह भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिका और इज़रायल उसके परमाणु प्रतिष्ठानों नातांज और फोर्डो पर हमला भी करें, तो ईरानी वैज्ञानिक उन्हें फिर से खड़ा कर देंगे।


पाबंदियों पर टकराव
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने बीते महीने आरोप लगाया कि ईरान 2015 के परमाणु समझौते (जेसीचीओए) का पालन नहीं कर रहा है। इसके बाद तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में 30 दिन की प्रक्रिया शुरू की, जिसके जरिए ईरान पर पुराने प्रतिबंध फिर से लागू किए जा सकते हैं।


क्या है स्नैपबैक मैकेनिज्म
2015 के ईरान परमाणु समझौते, यानी संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) में एक प्रावधान शामिल है, जिसके तहत कोई भी हस्ताक्षरकर्ता देश यदि ईरान को शर्तों का उल्लंघन करता हुआ पाए, तो वह एकतरफा रूप से पुराने सभी यूएन प्रतिबंध दोबारा लागू कर सकता है। समझौते में शर्त थी कि ईरान को प्रतिबंधों में राहत के बदले अपनी परमाणु गतिविधियों पर नियंत्रण रखना होगा।
इस प्रकार खामेनेई और पेजेशकियन के बयानों से यह साफ हो गया है कि ईरान दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। जहां एक ओर खामेनेई ने अमेरिका के साथ सीधे संवाद को नकार दिया, वहीं राष्ट्रपति पेजेशकियन ने दो टूक कहा कि ईरान आत्मनिर्भर है और किसी भी हालात में अपने हितों की रक्षा करेगा।

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