
सप्ताह में चार दिन वर्क फ्रॉम होम करने से प्रदूषण में आ सकती हैं कमी
नई दिल्ली । वर्क फ्रॉम होम प्रयोग से प्रदूषण में कुछ कमी देखी गई है। यह राहत अभी मुख्य रूप से मेट्रो शहरों तक सीमित है। कोविड के बाद से ही मेट्रो शहरों की कई बड़ी कंपनियों खास तौर पर आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम चल रहा है। इससे कई गाड़ियां सड़कों पर कम हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार निश्चित तौर पर ट्रैफिक के मामले में मेट्रो शहर कोविड से पहले वाली स्थिति में पहुंच चुके हैं। इसके बाद यदि ये गाड़ियां भी सड़कों पर होतीं तो प्रदूषण में जो कमी 2022 में देखने को मिली वह नहीं होती।
एक रिसर्च में दावा किया गया है कि यदि हफ्ते में चार दिन वर्क फ्रॉम होम किया जाए तब एनओ-2 का उत्सर्जन 10 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यदि दो और तीन दिन का वर्क फ्रॉम होम किया जाए तब उत्सर्जन चार और आठ प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इसी रिसर्च में दावा किया गया कि यदि सर्विस सेक्टर के 40 प्रतिशत कर्मियों को हफ्ते में चार दिन वर्क फ्रॉम कर दिया जाए तब न सिर्फ एनओ-2 के स्तर में दस प्रतिशत की कमी आएगी बल्कि ट्रैफिक के दौरान होने वाले उत्सर्जन में भी 15 प्रतिशत की गिरावट दर्ज होगी।
शोधकर्ता का कहना है कि ट्रैफिक के लिहाज से बात करें तब दिल्ली व अन्य बड़े शहरों में यह कोविड के पहले वाले दौर में ही पहुंच गया है इसलिए प्रदूषण के लिहाज से कुछ खास असर नहीं पड़ा है। वर्क फ्रॉम होम की वजह से सड़कों पर कई गाड़ियां कम हैं। यदि वे गाड़ियां भी सड़कों पर होतीं तब निश्चित तौर पर प्रदूषण काफी अधिक रहता और जिस तरह के रिजल्ट 2022 में दिखे हैं वे नहीं होते। वर्क फ्रॉम होम एक बेहतरीन तरीका है जिससे दिल्ली और अन्य प्रदूषित शहरों को राहत दिलाई जा सकती है लेकिन देश के कई शहर अब भी इस व्यवस्था के लिए तैयार नहीं हैं। आईटी कंपनियों के अलावा दिल्ली एनसीआर में कई जगह अब एंप्लॉई को बुलाया जा रहा है।

News Editor
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