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  • Saturday, 20 December 2025
सुप्रीम कोर्ट से ठाकरे गुट को बड़ा झटका, मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट से ठाकरे गुट को बड़ा झटका, मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की जरूरत नहीं

मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है। शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस बड़ी बेंच के पास भेजने की जरूरत नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 21 फरवरी तय की है। ठाकरे गुट ने शिंदे गुट में जाने वाले 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। इन विधायकों की बगावत के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार बनी थी।

बीजेपी भी इस सरकार का हिस्सा है। शुक्रवार को शिवसेना विधायकों के मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार किया है। पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। इसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। अब 21 फरवरी से उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट के दावे पर मैरिट के आधार पर सुनवाई होगी।

गुरुवार को संविधान पीठ ने विधायकों की अयोग्यता के मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे गुट ने नबाम रेबिया फैसले का हवाला देकर कुछ बिंदुओं को सात जजों की बेंच के पास भेजने की मांग की थी। वहीं शिंदे गुट की दलील थी कि इस पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है।

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की थीं। सिब्बल ने नबाम रेबिया जजमेंट केस के हवाले से मामले को सात जजों की बेंच को रेफर करने की अपील की थी। पिछली सुनवाई में भी सिब्बल ने सात जजों के पास केस को रेफर करने की मांग की थी। 2016 में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने नबाम रेबिया केस में फैसला सुनाया था।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि विधानसभा स्पीकर उस सूरत में विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं, जबकि स्पीकर को हटाने की पूर्व सूचना सदन में लंबित है। यानी स्पीकर तब अयोग्यता की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं, जब खुद उन्हें हटाने के लिए प्रस्ताव लंबित हो। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि यह पांच जजों की बेंच तय करेगी कि मामले को क्‍या बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए?

 

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