भारतीय बच्चों को प्रतिबंधित केमिकल खिला रही हैं कंपनियां
खाद्य पदार्थों में प्रतिबंधित रसायन छोटे-छोटे बच्चे गंभीर रूप से बीमार
नई दिल्ली। भारत में राष्ट्रीय और बहु-राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा खतरनाक रसायनों का उपयोग खाद्य पदार्थों में किया जा रहा है। जिसके कारण बच्चे तेजी से बीमार पड़ रहे हैं। चॉकलेट, चिप्स, बिस्कुट और खाद्य पदार्थों में बड़ी मात्रा में रसायनों का उपयोग किया जा रहा है। खाद्य पदार्थों में स्वाद बढ़ाने और कुरकुरेपन इत्यादि को बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में रसायनों का उपयोग किया जा रहा है। जिसके कारण बच्चों का पाचन तंत्र, लिवर,किडनी आंखों और हृदय मे कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही है। नर्वस सिस्टम पर भी इसका असर हो रहा है।
प्रतिबंधित रसायन?
विकासशील एवं विकसित देशों में जिन रसायनों को कई वर्ष पूर्व प्रतिबंध लगाया जा चुका है। उन्ही रसायनों का धड़ल्ले से उपयोग, भारत में बहुराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कंपनियां कर रही हैं। खाद्य पदार्थों में टाइटेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इस केमिकल का उपयोग दीवारों के पेंट, कोटिग ओर प्लास्टिक पेंट इत्यादि में इस्तेमाल होता है। यही रसायन खाद्य पदार्थों में चॉकलेट, केन्डी, च्युइंगगम, पेस्ट्री, केक इत्यादि में बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत में इस रसायन के उपयोग की अनुमति खाद्य विभाग द्वारा दी गई है।
इसी तरह से टशर्री ब्यूटाइलहाइड़ो किचनॉन, रसायन को मीट को सड़ने से रोकने के लिए उपयोग में लाया जाता है। प्रोफाइल पैराबेन का उपयोग साबुन और शैंपू में किया जाता है।यह दोनों केमिकल कनाडा यूरोपीय संघ और इंग्लैंड इत्यादि में प्रतिबंधित है। हाइड्रोजने टेड पाम आयल का उपयोग यूरोपीय देशों में कई वर्षों से प्रतिबंधित है। इसका उपयोग भारत में आइसक्रीम, बेबी फूड, चॉकलेट और अन्य डेयरी उत्पादों में धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके कारण हृदय से संबंधित बीमारियां बच्चों और युवाओं में बढ़ती जा रही हैं।
भारत में फास्ट फूड का चलन बड़ी तेजी के साथ बढा है। छोटे-छोटे बच्चे खतरनाक रसायनों का उपयोग खाद्य पदार्थों के जरिए कर रहे हैं। जिसके कारण तरह की बीमारियां छोटे-छोटे बच्चे और युवाओं में देखने को मिल रही हैं। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है, भारत सरकार इस मामले में आंख बंद करके बैठी हुई है। भारत सरकार का खाद्य मंत्रालय भी बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में खतरनाक रसायनों के उपयोग की अनुमति दे रहा है। जो चिंता का विषय है।
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