अक्टूबर में पूरे देश में एसआईआर का ऐलान कर सकता है चुनाव आयोग
राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से अपडेट सूची 30 सितंबर तक जारी करने के निर्देश
नई दिल्ली,। चुनाव आयोग (ईसी) ने बिहार को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को दो दशक पहले किए गए एसआईआर के नामों को अपने वर्तमान वोटरों के नाम का मिलान करके अपडेट सूची 30 सितंबर तक जारी करने का निर्देश दिया है। सूत्रों के मुताबिक अक्टूबर की शुरुआत से ही चुनाव आयोग पूरे देश में एसआईआर की घोषणा कर सकता है। आयोग के इस कदम का मकसद चुनाव में फर्जीवाड़े को रोकना है।
आयोग ने इसी महीने की शुरुआत में 10 सितंबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के निर्वाचन अधिकारियों के साथ अपनी बैठक में अगले 10-15 दिनों में राष्ट्रव्यापी एसआईआर पर विचार मांगे थे। चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के चुनाव आयुक्त को निर्देश देते हुए कहा था कि 30 सितंबर तक अपडेटेड वोटर लिस्ट वेबसाइट पर अलोड करें। इसके बाद पूरे देश में एसआईआर लागू किया जाएगा जो 1 जनवरी 2026 तक चल सकता है।
सभी राज्य यूटी के सीईओ ने पहले ही अपनी वेबसाइटों पर मतदाता सूची अपलोड कर दी है। चुनाव आयोग के आदेश जारी होने की तिथि पर रोल में शामिल सभी मतदाताओं को बूथ लेवल ऑफिसर्स द्वारा गणना फॉर्म दिए जाएंगे और जो भी मतदाता फॉर्म पर हस्ताक्षर कर बीएलओ को सीधे या पार्टियों के बूथ-लेवल एजेंट्स (बीएलए) के जरिए जरुरी दस्तावेजों के साथ या बिना, जमा करेगा, उसे ड्राफ्ट रोल में शामिल किया जाएगा। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा किए गए एसआईआर के पहले की गतिविधियां उन मतदाताओं की सूची जारी करती है, जो आखिरी बार हुआ एसआईआर के सूची में थे। साथ ही उन्हें और उनके बच्चों को भारत का नागरिक माना जाता है। नए एसआईआर में उनको कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। ऐसे नागरिक वर्तमान वोटर सूची के 50-60फीसदी हो सकते हैं।
बीएलओ बाकी के 40फीसदी लोगों के घर-घर जाकर उनके गणना फॉर्म और नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज लेंगे। चुनाव आयोग ने 5 जुलाई 2025 को सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ इलेक्शन ऑफिसर्स को पत्र लिखकर बिहार की तरह एसआईआर के लिए तैयारियां शुरू करने को कहा था, जिसकी 1 जनवरी 2026 को क्वालिफिकेशन डेट या अहर्ता तीथि होगी। इसके बाद से राज्य, यूटी आखिरी एसआईआर को वेबसाइट पर अपलोड करेंगे।
बता दें आमतौर पर अगस्त-सितंबर में पूर्व-संशोधन गतिविधियों के साथ शुरू होता है, जिसके बाद अक्टूबर के आखिर में मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन, नवंबर के अंत तक दावे और आपत्तियां दर्ज करना और दिसंबर के अंत तक उनका निपटान करना होता है। ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतिम मतदाता सूची जनवरी के पहले सप्ताह में प्रकाशित की जाती है। हालांकि कुछ राज्यों में एक या दो सप्ताह ज्यादा लग सकते हैं।
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