
पॉपकॉर्न पर GST विवाद हुआ खत्म
पॉपकॉर्न पर GST विवाद हुआ खत्म, कैरेमल से लेकर नमकीन पॉपकॉर्न तक जानिए कितनी घटी कीमत
साल 2024 में हुई जीएसटी काउंसिल बैठक में अलग-अलग पॉपकॉर्न पर अलग-अलग टैक्स की बात की गई। इसे लेकर सोशल मीडिया में काफी विवाद भी हुआ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जीएसटी रेट पर फैसला होने के बाद सरकार ने कई चीजों पर जीएसटी दरें घटाई है। इसके साथ ही जीएसटी स्लैब में भी चेंज किया है। पॉपकॉर्न पर GST को लेकर लंबे वक्त से चल रहा विवाद आखिरकार समाप्त हो गया है। जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में हुए अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि कैरेमल फ्लेवर वाला पॉपकॉर्न हो या नमकीन पॉपकॉर्न, सभी पर समान टैक्स दर लागू होगी। पॉपकॉर्न की कीमतों में गिरावट के फैसले से उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
क्या था विवाद?
पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर कंपनियों और टैक्स अधिकारियों के बीच दुविधा की स्थिति बनी हुई थी। कुछ कंपनियां पॉपकॉर्न को अनप्रोसेस्ड फूड ग्रेन मानकर इसे 5% या टैक्स फ्री कैटेगरी में रख रही थीं, वहीं टैक्स विभाग इसे प्रोसेस्ड और रेडी-टू-ईट आइटम मानकर 12% जीएसटी की मांग कर रहा था। कैरेमल पॉपकॉर्न पर खासकर यह बहस ज्यादा थी, क्योंकि इसमें चीनी, बटर, फ्लेवरिंग सामग्री मिलाए जाते हैं, जिससे इसे 'रेडी टू ईट' फूड माना जाता है।
जीएसटी काउंसिल का फैसला
इस साल जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह फैसला लिया गया कि सभी तरह के पॉपकॉर्न पर अब समान टैक्स दर लागू होगी। चाहे वह सिंपल नमकीन पॉपकॉर्न हो, कैरेमल पॉपकॉर्न हो या अन्य फ्लेवर वाले सभी पर 5% जीएसटी लगाया जाएगा। यह फैसला टैक्स अनुपालन को सरल बनाएगा और उपभोक्ताओं को भी राहत देगा।
कीमतों में कितनी आई गिरावट?
जीएसटी दर कम होने से पॉपकॉर्न की कीमतों में 8-10% तक की गिरावट देखी जा सकती है। जैसे कि पहले जो कैरेमल पॉपकॉर्न का 100 ग्राम पैक ₹120 में मिलता था, वह अब ₹110-₹112 में मिलेगा। साथ ही सिंपल या नमकीन पॉपकॉर्न का दाम भी ₹5 से ₹8 तक कम हुआ है। वहीं इस फैसले से फूड प्रोसेसिंग कंपनियों का कहना है कि जीएसटी की यह स्पष्टता उन्हें अपने प्रोडक्ट्स को और किफायती बनाने में मदद करेगी।
कंपनियों और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया
पॉपकॉर्न निर्माताओं ने इस फैसले को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि लंबे वक्त से टैक्स अधिकारियों के साथ चल रही दुविधा की स्थिति के कारण व्यवसाय प्रभावित हो रहा था। अब उन्हें स्पष्टता मिलेगी और विवाद भी नहीं होगा। पॉपकॉर्न निर्माताओं के साथ-साथ उपभोक्ता भी इस बदलाव से खुश हैं, खासकर सिनेमाघरों में जाने वाले लोग जो पॉपकॉर्न को एक जरूरी स्नैक मानते हैं। नई कीमतें उनके अनुभव को किफायती बनाएंगी। कुल मिलाकर अब ग्राहक बिना टैक्स उलझनों के अपने पसंदीदा पॉपकॉर्न का आनंद ले सकेंगे।
निष्कर्ष
जीएसटी काउंसिल का यह फैसला उपभोक्ताओं के हित में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। क्योंकि इससे न सिर्फ पॉपकॉर्न के दाम कम होंगे, बल्कि टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और स्थिरता भी बढ़ेगी।
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