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  • Friday, 05 September 2025
बनारस में ग्रीन एनर्जी की अनूठी पहल, ट्रैक के बीचों-बीच लगाए सोलर पैनल

बनारस में ग्रीन एनर्जी की अनूठी पहल, ट्रैक के बीचों-बीच लगाए सोलर पैनल

बनारस में ग्रीन एनर्जी की अनूठी पहल, ट्रैक के बीचों-बीच लगाए सोलर पैनल; जानिए कैसे काम करेंगे पूरा सिस्टम

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भारतीय रेलवे ने ट्रैक के बीच सोलर पैनल लगाए। रेल मंत्रालय ने एक्स पर जानकारी दी कि बनारस लोकोमोटिव वर्क्स में 70 मीटर लंबा हटाने योग्य सोलर पैनल सिस्टम स्थापित किया गया है। इसमें 28 पैनल लगे हैं जिनकी कुल क्षमता 15 किलोवाट पीक (KWp) है। यह कदम हरित और सतत रेल परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।” बता दें कि इसे आवश्यकता अनुसार आसानी से हटाया और दोबारा लगाया भी जा सकता है और इससे ट्रेनों पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले समय में इस तकनीक का उपयोग अन्य रेल परिसरों और स्टेशनों पर भी किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट में कई तकनीकी चुनौतियों का समाधान किया गया है। इसमें सबसे खास बात यह है कि पटरियों पर गुजरती ट्रेनों से होने वाले कंपन को कम करने के लिए रबर माउंटिंग पैड उपयोग किया गया है। इतना ही नहीं चोरी और तोड़फोड़ को मद्देनज़र रखते हुए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

 

भारतीय रेलवे की नई पहल !

भारतीय रेलवे की इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “ग्रीन इंडिया” विज़न और नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन 2030 लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा था कि भारत 2070 तक कार्बन उत्सर्जन पर नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा। उन्होंने दुनिया को भरोसा दिलाया था कि साल 2030 तक भारत कई सारे सतत विकास लक्ष्यो को हासिल करने में सफलता हासिल कर लेगा। आइए आपको विस्तार से बतातें हैं कि आखिर ये इंडिया विजन-2030 क्या है? और इसके लागू होने के बाद देश में किस तरह के बदलाव आएंगे? बता दें कि भारत सरकार ने जो विजन-2030 की बात कही है, वो है साल 2005 की तुलना में जीडीपी उत्सर्जन को घटाकर 33 से 35 फीसदी पर लाना। सरकार का लक्ष्य है कि देश की 40% बिजली उत्पादन क्षमता को गैर-जीवाश्म ईंधन से संचालित किया जाए और अधिक जंगल लगाकर 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित की जाए। फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन का चौथा चरण चल रहा है। “ग्रीन इंडिया” विज़न के तहत पूरे देश में हरित क्रांति को लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। अब तक 5 मिलियन हेक्टेयर में जंगल को बढ़ाया जा चुका है। सरकार का मकसद है जंगल बढ़ाकर वातावरण को साफ रखना और लोगों को ताज़ा हवा मुहैया कराना। बावजूद इसके, रोज़ाना बड़ी इमारतों के निर्माण के लिए बहुत सारे पेड़ काटे जा रहे हैं। क्या ऐसे हालात में सरकार समय पर सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा कर पाएगी? आने वाले समय में यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

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