ट्रंप पर बरसे जयराम- निशाने पर पीएम मोदी… दोस्त दोस्त न रहा
नई दिल्ली,। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा प्रहार किया है। रमेश ने मई 2025 के मध्य से अब तक ट्रंप की नीतियों और भारत के प्रति उनके रुख पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुए नमस्ते ट्रंप और हाउडी मोदी जैसे आयोजनों पर भी तंज कसा और पूछा कि “दोस्त दोस्त न रहा?
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में बिंदुवार ट्रंप के उन फैसलों और बयानों का ज़िक्र किया, जिन्हें उन्होंने भारत के हितों के ख़िलाफ़ बताया। रमेश के मुताबिक़, ट्रंप अब तक चार अलग-अलग देशों में, जिनमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है, 45 बार यह दावा कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाने का श्रेय उन्हें जाता है। उनके अनुसार इसी कारण भारत का ऑपरेशन सिंदूर अचानक रोक दिया गया। उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में अप्रत्याशित लंच पर बुलाया- वही व्यक्ति जिसके भड़काऊ और सांप्रदायिक बयानों के बाद पहलगाम आतंकी हमला हुआ था। ट्रंप ने अमेरिका-पाकिस्तान आर्थिक साझेदारी को और मज़बूत करने की बात की। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते को मंज़ूरी दे दी है।
जयराम ने कहा, ट्रम्प ने भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर दंडात्मक टैरिफ लगाए और एच वन बी वीज़ा व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया। उन्होंने रूस के साथ भारत के लंबे आर्थिक संबंधों को लेकर भारत को निशाना बनाया और दंडात्मक कार्रवाई की।रमेश ने यह भी उल्लेख किया कि रिपोर्टों के अनुसार, आज व्हाइट हाउस में ट्रंप की मुलाक़ात पाकिस्तान के फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से होने वाली है।
इसी संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और उनकी अमेरिका के साथ बढ़ती नज़दीकियों पर तंज कसते हुए पूछा,“नमस्ते ट्रंप का क्या हुआ? हाउडी मोदी का क्या हुआ? झप्पी कूटनीति का क्या हुआ? दोस्त दोस्त न रहा।
कांग्रेस नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका संबंधों में हाल के महीनों में कुछ तनाव देखने को मिला है। ट्रंप के कुछ हालिया निर्णयों और बयानों को भारत में नकारात्मक रूप से देखा जा रहा है, खासकर व्यापार और रक्षा सहयोग के मामलों में। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयराम रमेश का यह हमला न केवल ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर है, बल्कि मोदी सरकार की विदेश नीति पर भी सवाल उठाता है, जिसने अमेरिका के साथ रिश्तों को रणनीतिक साझेदारीके स्तर तक पहुंचाने का दावा किया था।
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