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  • Tuesday, 19 August 2025
सुप्रीम कोर्ट ने ‎सिब्बल से कहा- अयोग्यता का मामला स्पीकर को देखने दीजिए

सुप्रीम कोर्ट ने ‎सिब्बल से कहा- अयोग्यता का मामला स्पीकर को देखने दीजिए

कपिल सिब्बल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की ओर से हुए थे पेश


नई दिल्ली । विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता याचिकाओं को तय करने के लिए संबंधित क्षेत्र अदालतों को पहला मंच बनाए जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने असमति जताई। ये सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फैसला स्पीकर को ही लेने दिया जाए। कपिल सिब्बल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की ओर से पेश हुए, जिसकी सरकार पिछले जून में विद्रोह से गिरा दी गई थी। शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत गुट ने कहा कि यह समय नबाम रेबिया और दसवीं अनुसूची के फैसले पर फिर से विचार करने का है, क्योंकि इसने तबाही मचा दी है। इस गुट ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि मामले को शीर्ष अदालत की सात-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा जाए।

फैसले ने स्पीकर की शक्ति को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया, अगर उन्हें हटाने की मांग वाला एक प्रस्ताव लंबित था। ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट का प्रतिनिधित्व कर कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से कहा ‎कि यह हमारे लिए नबाम रेबिया और 10वीं अनुसूची पर फिर से विचार करने का समय है, क्योंकि इसने कहर बरपाया है। उन्होंने कहा कि दसवीं अनुसूची को राजनीतिक नैतिकता के उद्देश्य की पूर्ति करने वाला माना जाता था।

हालांकि अब यह इसके ‎विपरीत रहा है। उन्होंने जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पीठ से कहा कि आज दसवीं अनुसूची का सभी सरकारों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है और राजनीतिक अनैतिकता को आगे बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। दसवीं अनुसूची अपने राजनीतिक दल से निर्वाचित और नामित सदस्यों के दल-बदल को रोकने के लिए प्रदान करती है और इसमें दल-बदल के खिलाफ कड़े प्रावधान शामिल हैं।

सिब्बल ने कहा कि नबाम रेबिया मामले में निर्धारित कानून पर पुनर्विचार करने की भी जरूरत है। दिनभर चली सुनवाई के दौरान उन्होंने दावा किया कि शिंदे गुट ने गैरकानूनी तरीके से एक विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया जो ठाकरे गुट के खिलाफ पक्षपाती है। उन्होंने कहा कि रेबिया मामले में टिप्पणियों में असंवैधानिक परिणामों पर विचार करने में विफल रहे हैं, जो इस स्थिति से उत्पन्न हो सकते हैं कि एक अध्यक्ष अयोग्यता की कार्यवाही के साथ आगे नहीं बढ़ सकता है, यदि उसे हटाने का नोटिस लंबित है।

 

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