अब 150 साल पुराने गीत पर राजनीति गरमाई, फिर चर्चा में वंदे मातरम
नई दिल्ली,। 7 नवंबर 1875 को बंगाली साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत राष्ट्र प्रेम में रची बसी, पगी एक ऐसी कविता लिखी थी, जो आने वाले दशकों में भारत की आज़ादी की लड़ाई का प्रतीक बन गई। वह छह पदों वाली कविता थी- “वंदे मातरम्”, जिसे पहली बार 1882 में उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में प्रकाशित किया गया था। आज, एक सदी और आधे साल बाद, वही गीत राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है- भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हो गए हैं। बिहार चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं विशेष अवसर पर कांग्रेस को इस मामले में कठघरे में खड़ा कर बिहारी वोटरों समेत देश को मैसेज देने की आक्रामक कोशिश की है। कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश की है।
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