
गले में ताबीज, खून के छींटे और उर्दू में लिखा खत कानपुर में पकड़ा गया कबूतर
उत्तरप्रदेश। पुराने जमाने में सेना और राजा के जासूस दूसरे राज्यों से संदेश इकट्ठा करने के लिए या संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल करते थे. फिल्म इंडस्ट्री की कई फिल्मों में भी कबूतरों को प्रेमियों के संदेश का हमसफर दिखाया गया है। हिंदुस्तान के कई इलाकों में तंत्र मंत्र में भी पहले कबूतरों का इस्तेमाल होता था।
कानपुर के बिधनू इलाके में एक कबूतर को गले में पोटली बांधे हुए किसानों ने देखा तो उसको दाना डालकर घेर कर पकड़ लिया. इस पोटली को खोला गया तो उसमें एक उर्दू में लिखा हुआ पत्र मिला, जिसमें कई जगह खून के छींटे भी लगे थे। किसानों को यह संदिग्ध मामला लगा इसलिए तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस आई और कबूतर को पकड़कर ले गई पुलिस ने उस पत्र को उर्दू पढ़ने वाले मौलाना से पढ़वाया । ज्वाइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी का कहना है कि इस कबूतर को किसानों ने गांव में पकड़ा था, उसके गले में ताबीज था, उसको खोलकर निकाला गया तो उसमें एक पत्र था जो उर्दू में लिखा था, उसको पढ़ पाया गया।
ज्वाइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी की माने तो उसमें कोई खास संदिग्ध चीज नहीं मिली, फिर भी उसकी जांच की जा रही है. पुलिस जांच में भी लगी है कि आखिर इस कबूतर को किसने छोड़ा और उसके गले में लिखे पत्र का मतलब का मतलब क्या है और खून के छीटे किसके हैं ? फिलहाल कबूतर चर्चा का विषय बना हुआ है।

News Editor
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