
गाजियाबाद में गजब का फ्रॉड, फर्जी देश के फर्जी दूतावास की एसटीएफ ने खोली पोल
Fake embassy Ghaziabad: गाजियाबाद में गजब का फ्रॉड, फर्जी देश के फर्जी दूतावास की एसटीएफ ने खोली पोल
गाजियाबाद में एसटीएफ की टीम ने एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। एसटीएफ की यूनिट ने एक ऐसे फर्जी दूतावास का पर्दाफाश किया है, जो उन देशों का प्रतिनिधित्व कर रहा था जो असल में दुनिया के नक्शे पर मौजूद ही नहीं हैं। मुख्य आरोपी हर्षवर्धन जैन अपने घर से एक अवैध "एंबेसी" चला रहा था।हर्षवर्धन जैन खुद को एक उच्च स्तरीय राजनयिक बताकर लोगों को धोखे में रखता था। वह डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी लग्ज़री गाड़ियों, विदेशी झंडों और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर आम नागरिकों और कंपनियों से ठगी करता था। लंबे समय से चल रही इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने मौके पर छापेमारी कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के गिरफ्तारी के दौरान कोठी के बाहर खड़ी 4 डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी लग्जरी गाड़ियां, अलग-अलग देशों के झंडे और बड़ी संख्या में नकदी सहित कई फर्जी दस्तावेज बरामद किये गए। यहां तक की आरोपी हर्षवर्धन जैन लोगों के रौब दिखाने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कई प्रभावशाली लोगों के साथ अपनी एडिट की हुई तस्वीरें दिखाता था। इनके जरिए उसने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भी भौकाल बना रखा था।
ऐसे कर रहा था मोटी कमाई
हर्षवर्धन का मुख्य काम प्राइवेट कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को विदेश भेजना था और इसके बदले वो मोटी रकम लेता था। STF का माना है कि यह मामला सिर्फ फर्जीवाड़े तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार मनी लॉन्ड्रिंग, इंटेलिजेंस लीक और साइबर क्राइम से जुड़े भी हो सकते है। एसटीएफ की छापेमारी के दौरान हर्षवर्धन जैन के फर्जी दूतावास से ₹44 लाख 70 हजार रुपये नकद बरामद हुए। वहीं जांच के दौरान एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ—आरोपी के संपर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर के हथियार तस्करों से भी जुड़े पाए गए हैं। पुलिस को संदेह है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे एक बड़ा और संगठित नेटवर्क काम कर रहा है, जिसकी जांच अब गहराई से की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, हर्षवर्धन का संपर्क चंद्रास्वामी और अदनान खगोशी जैसे कुख्यात हथियार व्यापारियों से था। यह दोनों नाम वैश्विक स्तर पर अवैध हथियार सौदों के लिए जाने जाते हैं। एसटीएफ अब इस पूरे नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ने में जुटी हुई है। पुलिस के अनुसार, आरोपी हर्षवर्धन जैन ने गाजियाबाद से बीबीए और लंदन से एमबीए की पढ़ाई की है। इसके बाद हर्षवर्धन साल 2000 में अंतर्राष्ट्रीय हथियार डीलर चंद्रास्वामी के संपर्क में आया। यहां से उसने अपनी पहुंच कई आर्म्स डीलरों तक बनाई और इसके बाद वह इंटरनेशनल लेवल पर फर्जीवाड़े और दलाली का काम करने लगा।
FIR दर्ज कर मामले की जांच जारी
इस पूरे फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कविनगर थाने में एफआईआर दर्ज कर ली है। फिलहाल इस मामले में संबंधित धाराओं के तहत आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी है, और पुलिस जांच को तेजी से आगे बढ़ा रही है। एसटीएफ की टीम यह पता लगाने में जुटी हुई है कि हर्ष वर्धन के इस गोरखधंधे में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। इसके साथ ही पुलिस यह भी जांच कर पता लगा रही है कि हर्षवर्धन ने अब तक कितने लोगों को ठगा है और कितने पैसे का लेन-देन किया है।
फर्जी दूतावास कैसे खुलते हैं?
फर्जी दूतावास आमतौर पर ठगी, अवैध वीजा-पासपोर्ट जारी करने, या मानव तस्करी के लिए खोले जाते हैं। ऐसे फर्जी दूतावास आम लोगों को गुमराह कर असली दूतावास जैसा माहौल बनाते हैं और मोटी रकम लेकर उन्हें फर्जी दस्तावेज जारी करते हैं। ऐसे लोगों से सतर्क रहें।
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