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  • Tuesday, 19 August 2025
ध्यानचंद स्टेडियम को है अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच का इंतजार

ध्यानचंद स्टेडियम को है अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच का इंतजार


नई दिल्ली । हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर बना स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच का इंतजार कर रहा है। एक समय भारतीय हॉकी का मंदिर कहा जाने वाला यह स्टेडियम आज खाली पड़ा है और इसमें चारों ओर पसरा छाया हुआ है। देश में जहां 13 जनवरी से विश्व कप में दुनिया भर की टीमें खेलेंगी। वहीं इस स्टेडियम के मैच का इंतजार समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। कभी यहां हजारों दर्शकों का शोर रहता था। 2010 विश्वकप और राष्ट्रमंडल खेलों में जब भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को यहां हराया था तो स्टेडियम की गजब की रौनक थी।

भावनगर के महाराजा की ओर से दिल्ली को तोहफे में मिले इस नेशनल स्टेडियम (पूर्व नाम इरविन एम्पीथिएटर) ने 1951 में पहले एशियाई खेल देखे और 1982 एशियाई खेलों के हॉकी फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार के बाद खिलाड़ियों के आंसू। इसी मैदान पर आस्ट्रेलिया ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में भारतीय टीम को आठ गोल से हराया था। यहां आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2014 हीरो विश्व लीग फाइनल हुआ था। संस्थानों की अंतर विभागीय हॉकी यदा कदा यहां होती है।

तत्कालीन भारतीय हॉकी प्रशासन के दिल्ली को लेकर उदासीन रवैये और उस समय भारतीय हॉकी की संकटमोचक बनकर उभरी ओडिशा सरकार के खेलप्रेम के चलते अंतरराष्ट्रीय हॉकी का केंद्र भुवनेश्वर बन गया।

विश्व कप हो या प्रो लीग या चैम्पियंस ट्रॉफी सभी की मेजबानी ओडिशा ने की जिससे दिल्ली के इस स्टेडियम को कोई मैच नहीं मिल पाया है। भारतीय जूनियर और महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच और नेशनल स्टेडियम के पूर्व प्रशासक रहे अजय कुमार बंसल का मानना है कि हॉकी के लिये ओडिशा का योगदान सराहनीय है पर दूसरे केंद्रों पर भी अंतरराष्ट्रीय मैच होने चाहिए। बंसल ने कहा ‘ओडिशा ने भारतीय हॉकी के लिए जो कुछ किया है वह सराहनीय है और विश्व कप जैसे आयोजन वहां कराने में कोई नुकसान नहीं है पर इस स्टेडियम में हॉकी को जिंदा रखने के लिए यहां टेस्ट मैच द्विपक्षीय श्रृंखलायें या एशिया स्तर के टूर्नामेंट कराये जा सकते हैं।

यहां भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की हॉकी अकादमी स्थित है जिसमें नियमित अभ्यास होता है। इसके अलावा साइ की योजना के तहत कुछ बच्चे आकर हॉकी खेलते हैं हालांकि अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं देख पाने की कमी उन्हें खलती है। अगर यहां मैच होते रहेंगे तो और भी बच्चे हॉकी खेलने के लिए प्रेरित होंगे। इसमें तमाम सुविधायें एक मुख्य पिच और दो अभ्यास पिच नीली एस्ट्रो टर्फ 16200 दर्शक क्षमता है फिर भी यहां मैच न होना हैरानी की बात है।

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