डिजिटल पादरियों के मुकाबले अब खड़े होंगे डिजिटल पंडित और मौलाना
नई दिल्ली,। धर्म और आस्था की दुनिया में अब डिजिटल युग की आहट सुनाई देने लगी है। ब्रिटेन में तेजी से लोकप्रिय हो रहे डिजिटल पादरी यानी ऐसे धार्मिक गुरु जो सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं, अब भारत समेत अन्य देशों में भी नई धार्मिक प्रवृत्ति को जन्म दे सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में भारत में डिजिटल पंडित और डिजिटल मौलाना का दौर शुरू हो सकता है।
ब्रिटेन में इन डिजिटल पादरियों की लोकप्रियता खासकर युवाओं में बढ़ी है। वे पारंपरिक चर्चों के बजाय डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों से जुड़ते हैं। इंस्टाग्राम, यूट्यूब, पॉडकास्ट और खास मोबाइल ऐप्स के जरिए ये पादरी न केवल धार्मिक उपदेश देते हैं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, जीवनशैली और आध्यात्मिक संतुलन पर भी बात करते हैं। यह तरीका उन युवाओं के लिए उपयोगी साबित हो रहा है
जो अपने व्यस्त जीवन या आधुनिक जीवनशैली के कारण चर्च नहीं जा पाते हैं। डिजिटल पादरियों की एक और विशेषता यह है कि वे केवल उपदेश देने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे एक ऑनलाइन धार्मिक समुदाय का निर्माण भी करते हैं। यहां लोग अपनी समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं, धार्मिक विचार साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं। इससे धर्म केवल पूजा या अनुष्ठान का विषय नहीं रह गया, बल्कि संवाद और अनुभव का माध्यम बनता जा रहा है।
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