
NCERT के सिलेबस में बड़ा बदलाव, मानेकशॉ, ब्रिगेडयर
NCERT के सिलेबस में बड़ा बदलाव, मानेकशॉ, ब्रिगेडयर उस्मान और मेजर सोमनाथ की कहानियां पढ़ेंगे स्टूडेंट्स
NCERT ने अपने सिलेबस को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। देश की सेना में योगदान देने वाले वीरों के किस्से भी अब स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे। NCERT ने अपने सिलेबस में मानेकशॉ, ब्रिगेडयर उस्मान और मेजर सोमनाथ वीर सैनिकों की जिंदगी और उनके बलिदान की कहानियां जोड़ दी हैं। इस नए सिलेबस का उद्देश्य छात्रों को साहस, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति की प्रेरणादायक कहानियों से जोड़ना है। आपको बता दें कि यह घोषणा रक्षा मंत्रालय ने 7 अगस्त को ट्वीट
के जरिए किया। रक्षा मंत्रालय के ऑफिशियल ट्वीट के मुताबिक, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की कहानी अब 8वीं कक्षा की उर्दू किताब में, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की कहानी 7वीं कक्षा की उर्दू किताब में, और मेजर सोमनाथ शर्मा की कहानी 8वीं कक्षा की अंग्रेजी की किताब में शामिल की गई है। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इस बदलाव से बच्चों को ना केवल भारत के इतिहास की जानकारी मिलेगी, बल्कि उनके भीतर हिम्मत, सहानुभूति, भावनात्मक समझ और देश निर्माण में योगदान देने की भावना भी विकसित होगी।
कौन थे ये तीनों वीर?
मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को हुआ था। उन्होंने 3 नवंबर 1947 को कश्मीर के बडगाम की लड़ाई में मात्र 25 वर्ष की आयु में श्रीनगर हवाई अड्डे की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और कश्मीर घाटी को सुरक्षित रखा।उनकी बहादुरी के कारण ही आज हम कश्मीर को सुरक्षित मानते हैं। उन्हें परमवीर चक्र पाने वाले पहले सैनिक होने का गौरव प्राप्त है। उनकी कहानी बच्चों को यह सिखाएगी कि अपनी ड्यूटी के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर देना चाहिए।
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ : फील्ड मार्शल मानेकशॉ देश के पहले फील्ड मार्शल थे। उन्हें प्यार से लोग ‘सैम बहादुर ’ के नाम से भी पुकारते थें। उन्होंने अपने जीनव में पांच बड़े युद्धों में अहम भूमिका निभाई, पहला - द्वितीय विश्व युद्ध (1947–48 का भारत-पाक युद्ध), दूसरा - 1962 का भारत-चीन युद्ध, और तीसरा 1965 - 1971 के भारत-पाक युद्ध। आपको याद दिला दें कि 2023 में उनकी जिंदगी पर फिल्म बनी "सैम बहादुर", जिसमें विक्की कौशल ने उनका किरदार निभाया था। उनकी कहानी पढ़ाकर बच्चों को बताया जाएगा कि मेहनत और हौसले से कैसे मुश्किलों को हराया जा सकता है।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का जन्म 15 जुलाई 1912 को हुआ था। वे 3 जुलाई 1948 को जम्मू-कश्मीर के झंगर क्षेत्र को दुश्मनों से वापस लेने के प्रयास में रणभूमि में शहीद हुए। उन्होंने अपने जान की परवाह किए बगैर इस युद्ध में अहम योगदान दिया था। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को नौशेरा का शेर कहा जाता था। उनकी कहानी पढ़ाकर बच्चों को बताया जाएगा कि सच्चा देशभक्त धर्म से ऊपर देश को चुनता है।
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